दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को धोखाधड़ी और जालसाजी से कानून की डिग्री हासिल करने के आरोपों के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। इस गिरफ्तारी के तत्काल बाद सत्तारूढ आप ने केंद्र पर जोरदार हमला बोलते हुए इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया। त्रिनगर से विधायक और पहली बार मंत्री बने 49 वर्षीय तोमर को ऐसे समय पर गिरफ्तार किया गया है जब शहर की सरकार में शक्तियों को लेकर आप सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच पहले ही तनातनी चल रही है। पुलिस ने आम आदमी पार्टी के नेता को उनके घर से गिरफ्तार किया। इसके बाद उन्हें पूछताछ के लिए वसंत विहार पुलिस थाना ले जाया गया। तोमर का दावा है कि उन्होंने बिहार के एक विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की है जबकि दूसरे पक्ष का आरोप है कि यह डिग्री फर्जी है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उन्हें कथित फर्जी डिग्री मामले में गिरफ्तार किया गया है।
मौजूदा वक्त में लोकसभा में 543 में से 185 सांसद ऐसे हैं, जिनपर भ्रष्टाचार के या आपराधिक मामले दर्ज हैं। यानी जनता की नुमाइन्दगी करने वाले 34 फीसदी सांसद दागी हैं। इसी तरह राज्यसभा में 232 में से 40 सांसद ऐसे है जिनपर आपराधिक या भ्रष्टाचार के मामले दर्ज है। यानी जिन राज्यों में सांसदों के खिलाफ जहां जहां मामले चल रहे हैं, वहां वहां पुलिस तेजी से कार्रवाई कर संसद को पाक साफ बनाने की दिशा में बढ़ सकती है । नेशनल इलेक्शन वाच की रिपोर्ट के मुताबिक समूचे देश में तो कुल 4032 विधायकों में 1258 विधायक दागी हैं। यानी जिस देश में 36 फीसदी विधायक दागी हैं, उस देश में अब हर राज्य की पुलिस को दिल्ली पुलिस की तर्ज पर कार्रवाई तो शुरु कर ही देनी चाहिये। क्योंकि दिल्ली पुलिस ने उस मिथ को भी तोड़ दिया कि किसी मंत्री की गिरफ्तारी/हिरासत के साथ संबंधित सरकार और स्पीकर/सभापति को सूचना भेजी जाए। हालाकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन यह भी बताती है कि आपराधिक मामलों में विधायकों-सासंदों की गिरफ्तारी पर कोई पाबंदी नहीं है। यानी किसी को कोई जानकारी पहले से देने की कोई जरुरत नहीं है ।
दिल्ली के कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की गिरफ्तारी देश में ऐसी पहली गिरफ्तारी नहीं है जो किसी मंत्री या मुख्यमंत्री की पद पर रहते हुई है। इससे पहले भी कई ऐसे मंत्री और नेता रहे हैं जिन्हें पद पर रहते हुए गिरफ्तार किया गया है या उन्हें गिरफ्तारी की वजह से तत्काल इस्तीफा देना पड़ा है। मध्यप्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राघवजी ने 5 जुलाई 2013 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया जब उनका एक अश्लील सीडी अचानक प्रकट हो गया। उन्हें 9 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर आरोप था कि उन्होंने अपने नौकर के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए थे। फिलहाल वे जमानत पर हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व उच्च शिक्षा, तकनीकी और जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को राज्य की एसटीएफ ने व्यापमं घोटाले के सिलसिले में 15 जून 2014 को गिरफ्तार कर लिया। 16 जून 2014 को शर्मा ने बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। फिलहाल लक्ष्मीकांत शर्मा जेल में हैं। मायावती सरकार में परिवार कल्याण मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा को सीबीआई ने 3 मार्च 2012 को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर 5000 करोड़ के राष्ट्रीय ग्रामीण हेल्थ मिशन घोटाले में शामिल होने का आरोप था। कुशवाहा फिलहाल जेल में हैं। 27 सितंबर 2014 को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में एक विशेष अदालत ने जे जयललिता को जेल भेज दिया और उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। हालांकि बाद में हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया और उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री का पद संभाल लिया। जयललिया को पहली बार 1996 में जेल भेजा गया था जब उन पर रंगीन टीवी खरीद में घोटाले का आरोप लगा था।
3 अक्टूबर 2013 को चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को 5 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई जिस वजह से तत्काल लोकसभा की उनकी सदस्यता रद हो गई और अगले 11 साल तक वे चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिए गए। वे सबसे पहले 1997 में इसी मामले में जेल गए थे जब वे बिहार के मुख्यमंत्री थे। फिलहाल लालू जमानत पर हैं। पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा को सीबीआई ने 2 फरवरी 2011 को 2जी घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया था। ए राजा, फिलहाल जमानत पर हैं। 28 नवंबर 2006 को तत्कालीन कोयला मंत्री शिबू सोरेन को शशिनाथ झा हत्याकांड में दोषी ठहराया गया और तत्काल जेल भेज दिया गया। 2007 में हाईकोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को 22 जनवरी 2013 को जेल भेज दिया गया। उन्हें जेबीटी स्कैम के मामले में 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुऩाई गई। फिलहाल जेल में हैं लेकिन पिछले दिनों अस्पताल जाने की अनुमति दी गई है। 30 नवंबर 2009 को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को 2000 करोड़ के एक घोटाले के मामले में राज्य विजिलेंस कमीशन ने गिरफ्तार कर लिया। मधु कोड़ा को 2013 में जमानत मिली।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदुरप्पा को 15 अक्टूबर 2011 को जेल भेज दिया गया। उन्हें 23 दिनों के बाद जमानत मिली। सीबीआई ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को 18 मार्च 2007 को गिरफ्तार कर लिया। उन पर एनसीपी के कोषाध्यक्ष राम अवतार जग्गी की हत्या का आरोप लगा था। 2008 में रायपुर की एक अदालत ने उन्हें बरी कर दिया पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और उनके बेटे सुखबीर बादल को 1 दिसंबर 2003 को जेल भेज दिया गया जब पटियाला की एक अदालत ने आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। उन्हें 9 दिसंबर 2003 को जमानत मिली।
अब सवाल महत्वपूर्ण हो चला है कि जिस प्रकार से दिल्ली पुलिस ने फौरी कार्रवाई की, क्या यह देश के दूसरे राज्य पुलिस के लिए नजीर बन पाएगी ? दिल्ली पुलिस ने कई बार अपनी कर्तव्यनिष्ठा और तत्परता को दिखाया है। कई लोग इसे केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच जारी तानातानी से भी जोड़कर देख रहे हैं, लेकिन कार्रवाई तो दिल्ली पुलिस ने अच्छी की है। उसे दाद तो मिलनी ही चाहिए...
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