सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गान्धी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज़ के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं। प्रति वर्ष 2 अक्टूबर को उनका जन्म दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में और पूरे विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से मनाया जाता है।गान्धी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिये वकालत भी की। उन्होंने साबरमती आश्रम में अपना जीवन गुजारा और परम्परागत भारतीय पोशाक धोती व सूत से बनी शाल पहनी जिसे वे स्वयं चरखे पर सूत कातकर हाथ से बनाते थे। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि के लिये लम्बे-लम्बे उपवास रक्खे। अहिंसा के पुजारी कहे व माने जाने वाले मोहन दास कर्मचंद गांधी, जिन्हें सम्मान से बापू कह कर पुकारा गया, का दुनिया भर में आज भी नाम है। ‘दे दी हमें आजादी बिना खडग़, बिना ढाल, साबरमती के संत, तूने कर दिया कमाल’ पंक्तियां चरितार्थ कर दिखाने वाले बापू के प्रति दुनिया भर के लोगों की क्या राय रही,
क्लीमैंट एटली के शब्दों में महात्मा गांधी विश्व के महान व्यक्ति थे। वह घोर तपश्चर्या का जीवन व्यतीत करते थे। उनके करोड़ों देशवासी उन्हें दैवी प्रेरणा प्राप्त संत मानते थे। लक्ष्य साधन में उनकी सच्चाई और निष्ठा पर उंगली नहीं उठाई जा सकती जबकि माऊंटबेटन का कहना था कि महात्मा गांधी के जीवित रहने से सारा संसार सम्पन्न था और उनके निधन से लगता है कि संसार ही दरिद्र हो गया है।
माऊंटबेटन की टिप्पणी थी कि गांधी के परामर्श उनके लिए सदा सहायक सिद्ध हुए। अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि महात्मा गांधी एक ऐसे विजयी योद्धा थे, जिन्होंने बल प्रयोग का सदा उपहास किया। वह बुद्धिमान, नम्र, दृढ़ संकल्पी और निश्चय के धनी व्यक्ति थे। इसी तरह रेजिनाइल्ड सोरेन्सन ने लेनिन व महात्मा गांधी को विश्व में बीसवीं सदी का महानतम् व्यक्तित्व बताया था। उनका यह भी कहना था कि ये दोनों व्यक्तित्व एक दूसरे के विपरीत होते हुए भी दुनिया भर में चर्चित रहे। फिलिप नोएल बेकर का गांधी जी को लेकर कथन था कि आधुनिक इतिहास में किसी भी एक व्यक्ति ने अपने चरित्र की वैयक्तिक शक्ति, ध्येय की पावनता और अंगीकृत उद्देश्य के प्रति नि:स्वार्थ निष्ठा से लोगों के दिमागों पर इतना असर नहीं डाला, जितना महात्मा गांधी का असर दुनिया पर हुआ।
इसी तरह पर्ल बक ने कहा था कि हमारे लिए गांधी इने-गिने महात्माओं में से एक थे, जो अपने विश्वास पर हिमालय की तरह अटल और दृढ़ रहते थे। संसार का प्रत्येक व्यक्ति सोचता है कि गांधी जी एक उत्तम व्यक्ति थे तो लोगों ने उन्हें क्यों मार डाला, यह सवाल अनेक लोगों ने मुझसे पूछा और मुझे जवाब न सूझा। रिचर्ड बी. ग्रेड ने कहा था कि गांधी जी की यह भी विशेषता थी कि वह चाहे कहीं भी रहें और चाहे जिस तरह के काम में व्यस्त हों लेकिन हर रोज सुबह सबसे पहले प्रार्थना जरूर करते थे। अपने देश के लोगों में भी महात्मा गांधी शीर्ष स्तर पर छाए रहे। पंडित जवाहर लाल नेहरू उन्हें एक उच्च सिद्धांतवादी और सत्य का अनुयायी संत मानते थे। उनकी नजर में गांधी जी जनता की नब्ज को खूब पहचानते थे। वह कहा करते थे कि वास्तव में यदि कोई सार रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करने में योग्य था तो वह सिर्फ महात्मा गांधी थे। बाल गंगाधर तिलक के शब्दों में बहुत सी बातों में लोगों का गांधी जी से मतभेद हो सकता है और बहुत से लोग उनसे अधिक विद्वान हो सकते हैं परन्तु उनमें चरित्र की जो महत्ता है, उसके कारण वह सब लोगों के आदर्श हो गए।
गांधी की पहली बड़ी उपलब्धि १९१८ में चम्पारन और खेड़ा सत्याग्रह, आंदोलन में मिली हालांकि अपने निर्वाह के लिए जरूरी खाद्य फसलों की बजाए नील नकद पैसा देने वाली खाद्य फसलों की खेती वाले आंदोलन भी महत्वपूर्ण रहे। जमींदारों (अधिकांश अंग्रेज) की ताकत से दमन हुए भारतीयों को नाममात्र भरपाई भत्ता दिया गया जिससे वे अत्यधिक गरीबी से घिर गए। गांवों को बुरी तरह गंदा और अस्वास्थ्यकर (unhygienic); और शराब, अस्पृश्यता और पर्दा से बांध दिया गया। अब एक विनाशकारी अकाल के कारण शाही कोष की भरपाई के लिए अंग्रेजों ने दमनकारी कर लगा दिए जिनका बोझ दिन प्रतिदिन बढता ही गया। यह स्थिति निराशजनक थी। खेड़ा , गुजरात में भी यही समस्या थी। गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया जहाँ उनके बहुत सारे समर्थकों और नए स्वेच्छिक कार्यकर्ताओं को संगठित किया गया। उन्होंने गांवों का एक विस्तृत अध्ययन और सर्वेक्षण किया जिसमें प्राणियों पर हुए अत्याचार के भयानक कांडों का लेखाजोखा रखा गया और इसमें लोगों की अनुत्पादकीय सामान्य अवस्था को भी शामिल किया गया था। ग्रामीणों में विश्वास पैदा करते हुए उन्होंने अपना कार्य गांवों की सफाई करने से आरंभ किया जिसके अंतर्गत स्कूल और अस्पताल बनाए गए और उपरोक्त वर्णित बहुत सी सामाजिक बुराईयों को समाप्त करने के लिए ग्रामीण नेतृत्व प्रेरित किया।
लेकिन इसके प्रमुख प्रभाव उस समय देखने को मिले जब उन्हें अशांति फैलाने के लिए पुलिस ने गिरफ्तार किया और उन्हें प्रांत छोड़ने के लिए आदेश दिया गया। हजारों की तादाद में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए ओर जेल, पुलिस स्टेशन एवं अदालतों के बाहर रैलियां निकालकर गांधी जी को बिना शर्त रिहा करने की मांग की। गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन और हड़तालों को का नेतृत्व किया जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के मार्गदर्शन में उस क्षेत्र के गरीब किसानों को अधिक क्षतिपूर्ति मंजूर करने तथा खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढोतरी को रद्द करना तथा इसे संग्रहित करने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस संघर्ष के दौरान ही, गांधी जी को जनता ने बापू पिता और महात्मा (महान आत्मा) के नाम से संबोधित किया। खेड़ा में सरदार पटेल ने अंग्रेजों के साथ विचार विमर्श के लिए किसानों का नेतृत्व किया जिसमें अंग्रेजों ने राजस्व संग्रहण से मुक्ति देकर सभी कैदियों को रिहा कर दिया गया था। इसके परिणामस्वरूप, गांधी की ख्याति देश भर में फैल गई।
गांधी जी ने अपना जीवन सत्य, या सच्चाई की व्यापक खोज में समर्पित कर दिया। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने करने के लिए अपनी स्वयं की गल्तियों और खुद पर प्रयोग करते हुए सीखने की कोशिश की। उन्होंने अपनी आत्मकथा को सत्य के प्रयोग का नाम दिया। गांधी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ने के लिए अपने दुष्टात्माओं , भय और असुरक्षा जैसे तत्वों पर विजय पाना है। .गांधी जी ने अपने विचारों को सबसे पहले उस समय संक्षेप में व्यक्त किया जब उन्होंने कहा भगवान ही सत्य है बाद में उन्होने अपने इस कथन को सत्य ही भगवान है में बदल दिया। इस प्रकार , सत्य में गांधी के दर्शन है " परमेश्वर " .
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