पांच दिवसीय दीपोत्सव का शुभारंभ धनतेरस से होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार धनतेरस मंगलवार को होने से सबके लिए मंगलकारी रहेगा। धनतेरस पर सुबह से दिनभर श्रेष्ठ मुहूर्त है। लगभग 110 वर्ष बाद इस वर्ष मंगल धनवर्षा योग बन रहा है। इससे धनतेरस सभी के लिए मंगलकारी रहेगा। भगवान कुबेर खजाने का द्वार खोलेंगे। बाजार में कुबेर धन की वर्षा होगी। हिंदू धर्म में धनतेरस का खासा महत्व है। खरीदारी के लिए इस दिवस को शुभ माना जाता है। भगवान धनवंतरी की पूजा अर्चना के साथ बर्तन और जेवरात की खरीदी की जाती है। इसके अलावा दूसरे उत्पादों की भी खरीदारी होती है। इस बार शुभ मुहूर्त सोमवार की रात्रि 23.23 बजे से लेकर मंगलवार की रात 1.14 बजे तक का है। यानि 26 घंटे शुभ मुहूर्त रहेगा।
जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी उसी प्रकार भगवान धनवन्तरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। देवी लक्ष्मी हालांकि की धन देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वस्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हें।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरी चुकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।
धनतेरस के दिन खरीदारी का विशेष महत्व है। इस दिन चांदी का बर्तन खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर सम्भव न हो तो कोइ बर्तन खरिदे। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरी जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हें।शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी जी को घर में रोकने के लिए धनतेरस के दिन दीपक जलाना अनिवार्य है। इस दिन यमुना अथवा पवित्र नदी में स्नान कर यमराज के नाम पर दीपदान करने की परंपरा भी है। वैदिक देवता यमराज के नाम पर आटे का दीपक जलाकर घर के द्वार पर रखा जाता है। इस दीपक में चार बत्तियां लगाई जाती हैं। इधर, धनतेरस के मद्देनजर बाजार विभिन्न उत्पादों से सज गया है। वैसे दीपावली की रौनक मार्केट में नजर आने लगी है। बर्तन, सराफा, कपड़े सहित ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रानिक्स के उत्पादों की धनतेरस के दिन जमकर खरीदारी होती है।
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