लोकतंत्र में आप किसी को कुछ पल के लिए धोखा दे सकता है, आज न कल सच सामने आ ही जाता है। कुछ ऐसा ही रहा बीते दिनों हमारे यहां। भाजपा की ओर से मोदी लहर के नाम पर जनता को कुछ पल के लिए बरगलाने की कोशिश की गई। लंबे-चैड़े कोरे वादे किए गए, जो पूरे नहीं किए। सौ दिन के कार्यकाल की जमकर प्रोपगंडा की गई, लेकिन सच आखिर सच होता है। जनता को बार-बार कोई भी राजनीतिक दल भ्रमित नहीं कर सकता है। उपचुनावों के परिणामों में एक बार फिर से मोदी मैजिक की कलई खोल दी है। गुजरात में भाजपा की हार। राजस्थान में भाजपा की हार। उत्तर प्रदेश में भाजपा की हार। इससे पहले बिहार में हार। उत्तराखंड में हार। अव्वल तो यह भी कि जिस अमित शाह को मैन आॅफ द मैच से नवाजाने की पुरजोर कोशिश की, वह तो अपने पहले ही मैच में हार गए। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव के नतीजों ने बता दिया लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से जितने भी वादे किए गए, केंद्र की मोदी सरकार उस पर खरा नहीं उतर सकी। जनता करने वाली सरकार को पसंद करती है न कि कहने वाले। भला कोरे आश्वासनों पर कौन भरोसा करेगा ?
सम की तीन सीटों में एक सीट पर बीजेपी, एक पर कांग्रेस जबकि एक सीट पर ।प्न्क्थ् को जीत हासिल हुई है। नौ राज्यों में तीन लोकसभा सीट और 33 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मिली ऐतिहासिक जीत में बड़ी भूमिका यूपी से पार्टी को मिलीं 73 सीटों की थी। तत्कालीन यूपी प्रभारी अमित शाह को इस करिश्माई प्रदर्शन का इनाम पार्टी का अध्यक्ष बनाकर दिया गया। मोदी के खास सिपहसालार अमित शाह अपने पहले ही इम्तेहान में ही फेल हो गए। जिन राज्यों में गैर बीजेपी सरकारें थीं वहां तो बीजेपी फिसली ही, अपने राज्यों में भी उसकी भद पिट गई। जानने की कोशिश करते हैं कि किन 5 बड़ी वजहों से बीजेपी को करारी हार मिली।
पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को चुनाव का प्रभारी बनाकर प्रदेश की जनता के बीच एक खास संदेश देने की कोशिश की। बीएसपी के चुनाव मैदान से हटने के बाद मुकाबला सीधे-सीधे सपा और भाजपा के बीच था लेकिन आज आए नतीजे ने जैसे पार्टी के दिग्गजों की बोलती बंद कर दी है। 13 सितंबर को राज्य की जिन 11 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, उनमें से भाजपा को महज 4 सीटें मिलीं जबकि सपा के खाते में बाकी की सातों सीटें चली गईं। पार्टी के लिए ये इसलिए भी बहुत बड़ा झटका है क्योंकि चुनाव से पहले ये सभी सीटें बीजेपी की ही थीं।
उपचुनाव में बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। यूपी में एसपी को 7 सीटों पर जीत मिली है, जबकि बीजेपी को 3 सीट मिली है। एक सीट के नतीजे आने बाकी हैं। गौरतलब है कि ये सभी 11 सीटें बीजेपी के पास थीं ऐसे में उपचुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए बड़ा झटका माने जा रहे हैं। राजस्थान में भी बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। राजस्थान की चार में से तीन सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली है। वहीं बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिली है। पहले ये चारों सीटें बीजेपी के पास थी। राजस्थान के सूरजगढ़, नसीराबाद और वैर सीट पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है। बीजेपी के खाते में सिर्फ कोटा दक्षिण की सीट आई है। वहीं गुजरात में बीजेपी ने 6 सीटों पर जीत दर्ज की। 3 पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है। वडोदरा लोकसभा सीट बीजेपी ने जीत ली है। बीजेपी उम्मीदवार रंजन बेन भट्ट ने यहां से जीत हासिल की है। पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने अपना खाता खोला है। बशीरहाट सीट पर बीजेपी उम्मीदवार ने जीत हासिल की है। वहीं एक सीट पर टीएमसी की जीत हुई है। सम की तीन सीटों में एक सीट पर बीजेपी, एक पर कांग्रेस जबकि एक सीट पर ।प्न्क्थ् को जीत हासिल हुई है।
27 मई को नरेंद्र मोदी ने जोर-शोर के साथ देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली लेकिन उनकी पार्टी को महज दो महीने बाद ही 26 जुलाई को उत्तराखंड ने तगड़ा झटका लगा। जिस उत्तराखंड में वोटरों ने मोदी लहर पर सवार होकर पांचों लोकसभा सीट भाजपा को सौंप दी थीं, वहीं की धारचूला, डोईवाला और सोमश्वर सीट से कमल की बजाय पंजे को जीत मिली। उत्तराखंड के झटके के ठीक एक महीने बाद यानी 25 अगस्त को बीजेपी को बिहार में तगड़ा झटका लगा। यहां मोदी लहर की आंधी में नेस्तनाबूद हो चुके लालू यादव, नीतीश कुमार और कांग्रेस ने राज्य में अपना अस्तित्व बचाने के लिए हाथ मिला लिए। बीजेपी इस एकजुटता के सामना नहीं कर पाई और औंधे मुंह गिरी। उसे 10 में से महज 4 सीटें मिलीं। लालू-नीतीश गठबंधन को 6 सीटों पर जीत मिली जिसमें आरजेडी 3, जेडीयू 2 और कांग्रेस 1 सीट पर विजयी रही। खास बात ये है कि पिछले चुनाव में बीजेपी के पास इन 10 में से छह सीटें थीं।
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