Friday, 5 September 2014

नहीं है अच्छी परंपरा

कहने और करने में किस प्रकार का अंतर होता है, यह कोई फिलहाल दिल्ली में आकर देखे। दिल्ली की राजनीति में जिस प्रकार से भाजपा की ओर से तमाम राजनीतिक षुचिता को धत्ता बताया जा रहा है, वह किसी भी रूप से अच्छा नहीं कहा जा सकता है। जो पार्टी एक बार पर्याप्त आंकड़ा नहीं होने के कारण सरकार बनाने से मनाही कर चुकी है, उसमें तीन सीट और कम होने के बाद किस प्रकार वह सरकार बनाएगी, इसका जवाब तलाषने में अपने आप कई और सवाल उठ खड़े होते हैं। 
असल में, जिस प्रकार से खबरें आ रही हैं उसके आधार पर दिल्ली में एक बार फिर से सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गयी है। सरकार गठन को लेकर दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को चिट्ठी लिखी है। एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार नजीब जंग ने राष्ट्रपति को पत्र लिख कर दिल्ली में सरकार बनाने के लिए सबसे बड़ी पार्टी को आमंत्रित करने के लिए इजाजत मांगी है। इधर खबर यह भी है कि इस मामले को लेकर राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी है। गृह मंत्रालय ने भी पुष्टि कर दी है कि राष्ट्रपति का पत्र उसे मिला है। केंद्र सरकार ने राजनीतिक चर्चा के बाद इस मामले पर विचार करने की बात कही है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास सबसे ज्यादा 29 विधायक है। आम आदमी पार्टी के पास 27 विधायक हैं। कांग्रेस के 8 विधायक और अन्य 3 हैं। दिल्ली में सरकार गठन के लिए कम से कम 34 विधायकों की आवश्यकता है।
दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए रिपोर्ट भेजी थी। इस रिपोर्ट में उन्होंने नई सरकार बानाने के लिए कुछ विकल्पों को रखा था। दिल्ली के एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) द्वारा सुझाए गए विकल्पों में से एक विकल्प बीजेपी को भी रास आ रहा है। शुक्रवार को बीजेपी ने कहा कि गोपनीय बैलट के माध्यम से दिल्ली के विधायक नए मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। बीजेपी ने कहा कि गोपनीय बैलट के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में नई सरकार बनाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। बीजेपी को लगा रहा है कि गोपनीय बैलट दिल्ली में सरकार बनाने का सबसे सुरक्षित जरिया हो सकता है। प्रोविजन ऑफ नैशनल कैपिटल टेरिटरी ऐक्ट के तहत गोपनीय बैलट का विकल्प एलजी ने राष्ट्रपति को भेजा था। इसमें दलबदल विरोधी कानून और पार्टी विप काम नहीं करता है।गोपनीय बैलट में किसी भी पार्टी के विधायक को अपने मन के हिसाब से वोट करने का रास्ता खुल जाएगा। ल्ली में ज्यादतर विधायक फिलहाल चुनाव में नहीं जाना चाहते हैं। चुनाव से बचने का एक ही उपाय है कि दिल्ली में नई सरकार बने। इस सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब भाजपा के पास संख्याबल नहीं है तो उपराज्यपाल ऐसी पहल क्यों कर रहे हैं?
केंद्र में सरकार के गठन के बाद से ही सूबे में सरकार के गठन की चर्चा लगातार हो रही है। महत्वपूर्ण यह है कि सबसे पहले कांग्रेस विधायकों के सहयोग से ही भाजपा द्वारा सरकार बनाने की चर्चा थी लेकिन करीब डेढ़-दो महीने बीतने के बावजूद जब सरकार नहीं बनी तो कांग्रेस के सभी विधायक एक साथ सामने आए और उन्होंने भाजपा से सहयोग करने संबंधी तमाम कयासों को खारिज कर दिया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली आदि नेता बार-बार यह कहते रहे हैं कि कांग्रेस का कोई भी विधायक किसी भी कीमत पर भाजपा अथवा आम आदमी पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन नहीं देगा। पार्टी द्वारा आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों में कुछ विधायक पहुंच भी रहे हैं। 
सनद रहे कि दिल्ली विधानसभा के भविष्य के सवाल पर आगामी नौ सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। केंद्र सरकार को अदालत को बताना है कि दिल्ली में सरकार बनाने की क्या संभावनाएं हैं। इस दिशा में क्या कोशिशें हुई हैं। आम आदमी पार्टी की याचिका पर अदालत में सुनवाई इसी मुद्दे पर हो रही है कि आखिर लंबे समय तक विधानसभा को निलंबित रखने का भला क्या औचित्य है। अब जबकि अदालत में सुनवाई के महज चार दिन बाकी हैं, उपराज्यपाल जंग ने राष्ट्रपति को दिल्ली की सियासी स्थिति पर रिपोर्ट भेजी है और लिखा है कि दिल्ली में सरकार बनने की संभावनाएं अभी मौजूद हैं, लिहाजा विधानसभा में सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए निमंत्रित किया जा सकता है। राष्ट्रपति ने संबंधित रिपोर्ट पर गृह मंत्रालय की टिप्पणी मांगी है।

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