Saturday, 28 March 2015

'भारत रत्न' हुए अटल बिहारी वाजपेयी


 भारत रत्न का सम्मान राष्ट्रपति भवन में दिए जाने की परंपरा है, लेकिन बीमारी के चलते राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रोटोकॉल से हटकर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को  कृष्ण मेनन मार्ग स्थित उनके घर पर भारत रत्न से सम्मानित किया। करिश्माई नेता, ओजस्वी वक्ता और प्रखर कवि के रुप में प्रख्यात वाजपेयी को साहसिक पहल के लिए भी जाना जाता है, जिसमें प्रधानमंत्री के रुप में उनकी 1999 की ऐतिहासिक लाहौर बस यात्रा शामिल है, जब पाकिस्तान जाकर उन्होंने वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ लाहौर घोषणा पर हस्ताक्षर किए। 1998 से 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी बीमारी के चलते काफी समय से सार्वजनिक जीवन से दूर हैं। इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व अन्य नेता भी मौजूद थे। इस मौके पर वाजपेयी का एक फोटो भी जारी किया गया। कई साल बाद वाजपेयी का कोई फोटो नजर आया है।
ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे वाजपेयी पहले जनसंघ फिर बीजेपी के संस्थापक अध्यक्ष रहे। 955 में उन्होंने जनसंघ के टिकिट पर पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। इनमें से बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से चुनाव जीतकर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे। 1977 में केंद्र में मोरारजी देसाई के नेतृत्व में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार बनी। वाजपेयी उस सरकार में विदेश मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्होंने संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दी में भाषण दिया। ऐसा करने वाले वह देश के पहले नेता थे।वाजपेयी अपना कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं। 1998 में वे देश के दसवें प्रधानमंत्री बने।वाजपेयी ने 2005 में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था। वाजपेयी की सेहत काफी समय खराब चल रही है।
वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ कवि भी हैं। 'मेरी इक्यावन कविताएं' अटल जी का प्रसिद्ध काव्यसंग्रह है। जगजीत सिंह के साथ उन्होंने दो एलबम 'नई दिशा' (1999) और 'संवेदना' (2002) भी रिलीस कीं। वाजपेयी लंबे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर-अर्जुन आदि पत्र-पत्रिकाओं के संपादक रहे।
तीन बार प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने, जिनका कांग्रेस से कभी नाता नहीं रहा। साथ ही वह कांग्रेस के अलावा के किसी अन्य दल के ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से गहरे से जुडे होने के बावजूद वाजपेयी की एक धर्मनिरपेक्ष और उदारवादी छवि है। उनकी लोकप्रियता भी दलगत सीमाओं से परे है। पहले 13 दिन तक, फिर 13 महीने और फिर पूरे पांच साल तक। वाजपेयी इकलौते नेता थे, जो जब बोलना शुरू करते थे तो सदन का हर सदस्य बिना शोर शराबे की उनकी बात सुनता था। उनकी भाषण कला के मुरीद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी रहे। वाजपेयी मंझे हुए राजनेता रहे तो कोमल हृदय कवि भी। तमाम मुद्दों पर उनकी कलम से निकली कविताएं सीधे लोगों के दिल तक पहुंची।
वाजपेयी और प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं स्वतंत्रता सेनानी महामना मदन मोहन मालवीय को भारत रत्न देने की घोषणा 24 दिसम्बर को की गई थी। इत्तेफाक की बात यह है कि वाजपेयी और मालवीय दोनों का जन्मदिन 25 दिसंबर है। वाजपेयी का जन्म इस तारीख को 1924 में और मालवीय का जन्म 1861 को हुआ था। महामना को मरणोपरांत इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। उनके परिजनों को 30 मार्च को राष्ट्रपति भवन में यह पुरस्कार दिया जाएगा। वाजपेयी और महामना इस पुरस्कार से नवाजे जाने वाली 44वीं व 45वीं हस्ती हैं।

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