26 जनवरी आखिर है क्या? गणतंत्र, प्रजातंत्र, डेमोक्रेसी, जम्हूरियत, सिस्टम और संविधान। आखिर इन शब्दों के मायने क्या हैं? आखिर क्या है 26 जनवरी की तारीख का मतलब? 26 जनवरी, जनतंत्र का सबसे बड़ा जश्न है। इंडिया गेट से लालकिले तक लोकतंत्र का लोकपर्व है। जम्हूरियत के जज्बात को जताने का त्योहार है। संविधान के सूरज का इस्तकबाल का दिन है। स्वराज की सुबह के संस्मरण का समय है। इसी की वजह से तो सारी दुनिया में हमारी डेमोक्रेसी का डंका है। जनता जीते तंत्र कायम रहे और खत्म हर भय हो। जनतंत्र की जय हो।
प्रजातंत्र के प्रहरियों के सम्मान का प्रहर है। गणतंत्र के गणमान्य के गुणगान का दिन है। स्वतंत्रता के शहीदों के सम्मान का दिन है। आजादी के योद्धाओं के अभिवादन का अरमान है। 26 जनवरी का जन्म कैलेंडर पर छपी कोई तारीख नहीं है.। ये तो समय के सीने पर भारत का हस्ताक्षर है। इतिहास के पन्नों की सबसे बड़ी इबारत है। वर्तमान बना रहे और भविष्य तय हो। जनतंत्र की जय हो।
आज सेनाओं के शौर्य के स्मरण का दिन है। आज शूरवीर सैनिकों के संस्मरण का दिन है। आज वीरों के बहादुरी के बखान का वक्त है। आज दुनिया के दुश्मनों को दहलाने का दिन है। आज ताकत, हिम्मत, हौसला और साहस के सम्मान का दिन है। आज शांति के संकटों को चेतावती का संदेश है। आज गांधी के स्वराज की सालगिरह है। अहिंसा ऐसे ही निर्भय हो। जनतंत्र की जय हो।
हम विविध, विभिन्न बोली, भाषा, रंगरूप, रहन-सहन, खाना-पान, जलवायु में होने के बावजूद एकी संस्कृति की माला पिरोये हुए हैं। हमारे लोकतंत्र के प्रहरी अपने इस अवसर सपने को परिपक्वता के साथ मजबूत दीवार एवरेस्ट की चोटी से ऊंचा बना लिया है। कई उतार-चढ़ाव आए, आपातकाल भी देखा लेकिन भारत की सार्वभौमिकता बरकरार है।
खुशियों की तमाम बातों के बावजूद आज अहम सवाल हो गया है कि राजनीतिक व्यवस्था समाज को चुस्त, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित कानून बनाया जाए और प्रत्येक नागरिक चाहे जो कोई हो बेरोजगार या अमीर, सेवादार या किसान सब अपनी प्रत्यक्ष संपत्ति जायदाद का खुलासा करें कि जो भी चल-अचल धन है वही है और अप्रत्यक्ष कहीं भी देश या विदेश में मिलने पर जब्त होगा तो सजा मिलेगी। जनतंत्र-गणतंत्र की प्रौढ़ता को हम पार कर रहे हैं लेकिन आम जनता को उसके अधिकार, कर्तव्य, ईमानदारी समझाने में पिछड़े, कमजोर, गैर जिम्मेदार साबित हो रहे हैं।
कई मुश्किलों को पार करता हुआ भारत आज दुनिया के ताकतवर देशों की कतार में शामिल होने की कोशिश कर रहा है और यही कोशिश देश के हर आम आदमी की है। पिछले 6 दशकों में देश के आम आदमी को ताकत देने की कई कोशिशें हुई हैं, मुश्किलें अभी भी हैं लेकिन ना उम्मीदी का अंधेरा अब छट चुका है। गणतंत्र दिवस यानी भारत के हर नागरिक को आत्म सम्मान से जिंदगी जीने का अधिकार देने का दिन। पिछले 6 दशकों में देश ने कई उतार चढ़ाव देखे। आम आदमी की कई उम्मीदें को आकार मिलना अभी बाकी है लेकिन उनकी जिंदगी पिछले कई दशकों में काफी बदली है। कई ऐसे अधिकार आम आदमी को मिले हैं जिनसे कमोबेश उनकी जिंदगी में उमीदों की किरण दिख रही है।
भोजन का अधिकार
देश की आधी से ज्यादा आबादी के लिए दो वक्त के भोजन का जुगाड़ आसान कभी भी इतना आसान नहीं रहा लेकिन हाल ही में आम आदमी के इस वंचित वर्गो को मिला है भोजन का अधिकार। इस अधिकार के तहत यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि देश का कोई इंसान भूखा ना सोए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक इसे भी मौलिक अधिकारों की श्रेणी में माना गया है। इस अधिकार के तहत बने कानून के जरिये देश के तकरीबन 70 फीसदी लोगों को बहुत कम मूल्य में खाद्यान्न और दूसरी वस्तुएं उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
शिक्षा का अधिकार
देश के हर बच्चे को स्कूली शिक्षा मिले ये सपना हमारे संविधान निर्माताओं ने देखा था हालांकि कई दशक लग गए देश के नौनिहालों तक शिक्षा के अधिकार को पहुंचाने में लेकिन अब देश के हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिल गया है। छह से 14 साल तक के बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य रूप से स्कूल भेजना अब जरूरी है आखिर पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया।
रोजगार की गारंटी
भोजन और शिक्षा के अधिकार के बाद जिस अधिकार ने सबसे ज्यादा आम आदमी की जिंदगी पर सकारात्मक असर डाला है वो है रोजगार गारंटी योजना। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के जरिये लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान तैयार किए गए है। इस कानून के तहत हर इंसान को 100 दिनों का रोजगार दिये जाने की गारंटी है। रोजगार उपलब्ध कराने में विफल रहने पर बेरोजगारी भत्ता के तहत मजदूरी उपलब्ध कराना जरूरी है। गरीबी से जूझते ग्रामीण क्षेत्र के लिए ये अधिकार किसी संजीवनी से कम नहीं।
सूचना का अधिकार
अब बात उस अधिकार की जिसने आम आदमी को उठ खड़ा होने की शक्ति दी है। हम बात कर रहे हैं सूचना के अधिकार की नए वक्त मे सूचना जीवन रेखा बन चुकी है। अपने देश समाज और आम आदमी से जुड़े पहलू को जानना अब हर भारतीय का अधिकार है।
आरटीआई कानून ने आम आदमी को सशक्त बना कर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की ताकत दी है। माना जाता है कि भ्रष्टाचार देश में कई बड़ी समस्याओं की जननी है लेकिन अब कोई भी आम आदमी अपने या सामूहिक हित के मुद्दों पर सवाल पूछ सकता है। दुनिया के फलक पर उभरते भारत की तस्वीर आम आदमी को ताकत दिए बगैर नहीं बन सकती और देश का हर तबका अब इसकी अहमियत को समझता है। आखिर तभी तो देश दुनिया के सामने कह सकेगा जय हो...
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