कोष आबंटित किए बिना ही बस लोगों से किए गए अपने वादों के आधार पर मोदी सरकार अपना एक साल मना रही है। नरेंद्र मोदी सरकार के इस एक साल में नया कुछ भी नहीं हुआ। मोदी सरकार ने कई राज्यों के साथ भेदभाव किया है। यदि हम बिहार की बात करें, तो पटना में कच्ची दरगाह पर गंगा पर छह लेन वाले पुल के निर्माण के लिए तमाम तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, लेकिन वादे के अनुरुप कोष उपलब्ध कराने के बजाय केंद्र अब परियोजना उसके हवाले करने की बात कह रही है। इसी तरह गंगा पर गांधी सेतु के लिए सिर्फ वादे ही किए गए हैं जबकि यह उत्तर बिहार के लिए जीवन रेखा माना जाता है।
मोदी सरकार सिवाय डेंटिंग-पेंटिंग के कुछ नहीं कर रही। रक्षा क्षेत्र में यूपीए सरकार द्वारा मंजूर किया गया 27 हजार करोड़ रुपया वापस लौट गया। मोदी सरकार ने उसका इस्तेमाल तक नहीं किया। ये सत्ता में आने से पहले बोलते थे कि सेना की अनदेखी की जा रही है, जबकि इन्होंने सेना के लिए कुछ नहीं किया। सीजफायर उल्लंघन के मुद्दे पर आएं तो यूपीए के आखिरी एक साल में 96 बार पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन किया था, जबकि मोदी सरकार के आते ही ये आंकड़ा 746 तक पहुंच गया है। अब, ये आंकड़े बताते हैं कि कौन विरोधियों से बेहतर ढंग से निपटा ?
सरकार ने जो कुछ भी किया है, वह टेलीविजन कैमरे के सामने ही किया। सारी योजनाओं का श्रीगणेश भारी-भरकम कार्यक्रम करके ही किया गया। इसके बावजूद प्रधानमंत्री को खुद और उनके मंत्रियों को गांव-गांव तक जाकर प्रेस कांफ्रेंस करके लोगों को बताना पड़ रहा है कि उन्होंने क्या-क्या किया है तो इसका मतलब है कि नतीजे अभी लोगों तक पहुंचने नहीं शुरू हुए हैं। जो उम्मीदें पहले बिना संकोच और दुविधा के थीं, उनके पूरे होने में कुछ संदेह होने लगा है। असल में यह समस्या बहुत अधिक उम्मीदें पैदा होने के कारण हुई है। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में प्रचार करते हुए अपने को हर मर्ज की दवा की तरह पेश किया था। यूपीए सरकार में जो कुछ भी बुरा होने की खबर आ रही थी, मोदी उसकी काट के तौर पर अपने को पेश कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वे भ्रष्टाचार मिटा देंगे, काला धन वापस ला देंगे, पाकिस्तान और चीन को सबक सिखा देंगे, आतंकवाद खत्म कर देंगे, गरीबी दूर कर देंगे, नौजवानों को रोजगार देंगे, अयोध्या में राममंदिर बना देंगे, अनुच्छेद 370 खत्म हो जाएगा, पेट्रोल-डीजल सस्ता हो जाएगा, डॉलर 40 रुपए में बिकने लगेगा, मोदी भारत को विश्वगुरू बना देंगे, और न जाने क्या-क्या कर देंगे। नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान अपने को करोड़ों लोगों की उम्मीदों के एवरेस्ट पर खड़ा कर लिया था। अब वहां से उनका उतरना मुश्किल है और उतनी उम्मीदों को पूरा करना तो लगभग नामुमकिन है।
हैरानी की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी अब भी व्यावहार धरातल पर नहीं उतर रहे हैं। वे और उनके मंत्री अब भी लोगों को सुंदर सपनों की सैर करा रहे हैं। प्रधानमंत्री का देश-विदेश का हर कार्यक्रम चुनावी दौरे की तरह होता है। वे अब भी लोगों की उम्मीदें जगाते हैं। दूसरी ओर कड़वी सचाई है, जिससे लोग रोज रूबरू हो रहे हैं। सपने और हकीकत का यह फर्क है, नरेंद्र मोदी की सरकार के एक साल को बिगाड़ने वाला है।
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