Tuesday, 10 June 2014

आजाद के अनुभवों से मिलेगा लाभ





कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के संसदीय अनुभवों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। गुलाम नबी आजाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक तेज-तर्रार नेता हैं। वह एक कुशल राजनेता हैं। कांग्रेस को उनके अनुभवों से लाभ मिलेगा।
गुलाम नबी आजाद का जन्म 7 मार्च, 1949 को जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में हुआ था। इनके पिता का नाम रहमतुल्लाह था। गुलाब नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय से प्राणि विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढाई संपन्न की। गुलाम नबी आजाद ने वर्ष 1980 में कश्मीर की एक लोकप्रिय और प्रतिष्ठित गायिका शमीन देव आजाद के साथ विवाह संपन्न किया। इनके परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। वर्ष 1973 में कांग्रेस के सदस्य के तौर गुलाम नबी आजाद ने सक्रिय राजनीति में कदम रखा। वर्ष 1973-1975 के बीच वह ब्लेस्सा  कांग्रेस समिति के ब्लॉक सचिव रहे।
 यहीं से उनके राजनैतिक जीवन को सही दिशा मिलनी प्रारंभ हो गई। वर्ष 1975 में गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और फिर 1977 में डोडा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष बने। इसके बाद जल्द ही वह अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के महासचिव बनाए गए। वर्ष 1982 में गुलाम नबी आजाद ने पहले केन्द्रीय उपमंत्री के तौर पर कानून, न्याय और कंपनी मामलों का मंत्रालय संभाला फिर कुछ ही समय बाद राज्य मंत्री बने। वर्ष 1985 में गुलाम नबी आजाद वशिम निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद गृह राज्य मंत्री बनाए गए। लेकिन उन्हें जल्द ही खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्रालय सौंप दिया गया। इन सब के अलावा वर्ष 1978 से 1981 तक गुलाम नबी आजाद अखिल भारतीय मुस्लिम युवा कांग्रेस के भी अध्यक्ष रहे। 1986 में कांग्रेस कार्य समिति के भी सदस्य बनाए गए। इसके बाद वर्ष 1987 में वह अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव बने। गुलाम नबी आजाद नौ बार इस पद पर काबिज रहे। वर्ष 1990 में राज्यसभा में चयनित होने के बाद वह पी.वी. नरसिंह राव सरकार में संसदीय मामलों के केन्द्रीय मंत्री और बाद में पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्री बनाए गए। गुलाम नबी आजाद के जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद पर रहते हुए कांग्रेस को विधानसभा चुनावों में 21 सीटों पर जीत हासिल हुई जिसके बाद वह प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बनकर उभरी। मनमोहन सरकार में गुलाम नबी आजाद संसदीय मामलों के मंत्री रहे, लेकिन 2007 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री पद के कारण उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री का पद प्रदान किया गया था। स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए उन्होंने कई प्रकार के सुझाव दिए। जैसे लड़कियों का विवाह अगर 25-30 वर्ष के बीच किया जाए तो इससे जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता है आदि बहुत प्रशंसनीय रहे।
उल्लेखनीय है कि इसके साथ ही यूपीए-2 में एक अन्य मंत्री रहे आनंद शर्मा को पार्टी ने उपनेता बनाया है। कांग्रेस के पास राज्य सभा (उच्च सदन) में विपक्ष के नेता का दावा करने के लिए अपेक्षित संख्या बल है। उच्च सदन में 245 सदस्य हैं और कांग्रेस की सदस्य संख्या 67 है। इस प्रकार सदन की कुल संख्या का 10 फीसदी अपेक्षित आंकड़ा कांग्रेस के पास है जो विपक्ष का नेता पद पाने के लिए जरूरी है। लोकसभा में कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी का नेता बनाया है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को निचले सदन में कांग्रेस का उपनेता बनाया गया है। कांग्रेस की ओर से लोकसभा के लिए चीफ व्हिप और व्हिप के पदों का ऐलान कर दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा में कांग्रेस का चीफ व्हिप बनाया गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा के सांसद बेटे दीपेंदर सिंह हुड्डा और केरल से सांसद केसी वेणुगोपाल को व्हिप नियुक्त किया गया है।

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