Thursday, 21 November 2013

दिल्ली नहीं रूकेगी



दिल्ली की सत्ता पर चौथी बार कब्जा कायम रखने के लिए मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने पार्टी का घोषणापत्र जारी कर दिया। कांग्रेस का घोषणा-पत्र सामने आने के बाद पार्टी की नीति और नियत का आकलन करने के लिए मतदाताओं को ठोस आधार मिल गया है. शीला दीक्षित ने कहा कि हम प्रवासियों का दिल्ली में बेहतर जिंदगी जीने के लिए स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि घोषणापत्र में सभी के लिए घर का हमने वादा किया है। शीला दीक्षित ने कहा कि 'दिल्ली नहीं रूकेगी' हमारा स्लोगन है। हम शहर में डबल डेकर फ्लाईओवर की योजना बना रहे हैं। दिल्ली की जीडीपी देश में सबसे अधिक है और इसे हम दोगुना करने की सोच रखते हैं। आप पार्टी के चुनौतियों को देखते हुए कहा कि मुझे उम्मीद है कि लोग उस पार्टी को वोट देंगे जिसके पास अनुभव है और जिसने पिछले एक दशक से ज्यादा विकास का काम शहर के लिए किया है।
कांग्रेस ने सत्ता में वापसी पर कॉलेजों  में सीटों में 3० प्रतिशत बढोत्तरी, पांच मेडिकल कॉलेजों वाला स्वास्थ्य शिक्षा विश्वविद्यालय स्थापित करने और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का वादा बुधवार को अपने चुनावी घोषणापत्र में किया। घोषणापत्र में दिल्ली को देश की ज्ञान राजधानी बनाने पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि सांध्यकालीन कॉलेजों की संख्या में 3० प्रतिशत सीटों की वृद्धि के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय से सिफारिश की जायेगी। उच्च शिक्षा के लिए देश भर में पढ़ रहे राजधानी के छात्रों को बैंकों के शैक्षिक ऋण पर ब्याज में छूट तथा अन्य आर्थिक सहायता मुहैया कराने के लिए एक उच्चतर शिक्षा न्यास की स्थापना की जायेगी। रोजगार सुनिश्चित करने के लिए हर वर्ष करीब 2० हजार लोगों के प्रशिक्षण देने के वास्ते सिंगापुर के सहयोग से अनुकूल, सुविधाजनक वातावरण में विश्व स्तरीय कौशल केंद्र का गठन किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में बहुनिकाय व्यवस्था की वजह से आर ही दिक्कतों को देखते हुए अन्य राज्य सरकारों द्वारा प्रयोग में लाये जा रहे सभी अधिकार दिल्ली सरकार को भी देने की मांग की जायेगी।
भागीदारी पहल का विस्तार कर उसे मजबूत बनाया जायेगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद परिवार के आधार पर अंत्योदय और प्राथमिकता सूची के परिवारों को सस्ती दालें और खाद्य तेल मुहैया कराये जायेंगे। पीडीएस की सभी ढाई हजार दुकानों में आधुनिक बायोमीट्रिक प्रमाणीकरण प्रणाली लागू की जायेगी। स्मार्ट कार्डों के जरिये परिचालन के लिए मदर डेयरी के ढांचे पर राशन की दुकानों में बिक्री मशीन लगाई जायेगी। लाडली योजना का लाभ कॉलेज जाने वाली छात्रों को देने जिसके तहत पेशेवर स्नातक स्तरीय कालेजों और विशेष प्रशिक्ष में पंजीकरण एवं प्रशिक्षण पूरा करने के लिए 5० हजार रुपए की अतिरिक्त आर्थिक सहायता दी जायेगी। कामकाजी महिलाओं के बच्चों की देखभाल के लिए पालनाघरों की स्थापना, बच्चों के खिलाफ अपराधों के निपटारे के लिए विशेष बाल अनुकूल न्यायालय योजना, कामकाजी महिलाओं के लिए अधिक से अधिक आवासों, हर विधानसभा क्षेत्र में औसतन 2० महिला शौचालय बनाने का वादा किया गया है।  कांग्रेस ने कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने का भरोसा देते हुए महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए पुलिस बल को विशेष प्रशिक्षण, सरकारी कर्मचारियों के अलावा आटो रिकशा चालकों जैसे उन लोगों को भी महिलाओं की सुरक्षा का प्रशिक्षण दिया जायेगा जिनका आम जनता से आये दिन वास्ता पडता है। पुलिस व्यवस्था में सुधार पर जोर के साथ ही महिला बल की संख्या बढाई जायेगी। सत्ता में आने पर कांग्रेस ने वरिष्ठ नागरिकों की आंखों की जांच, चश्मा, घूमने के लिए छडी, वाकर और बैसाखियों आदि जैसे सहायक उपकरणों की खरीद पर छूट देने का वादा किया है । दस से अधिक वृद्धाश्रमों, दृष्टिहीन कॉलेज छात्राओं के लिए तिमारपुर में और छात्रों के वास्ते किंग्सवे कैंप में विशेष छात्रावासों का निर्माण, मानसिक स्तर पर निशक्त व्यकि्तयों के लिए नरेला में 1००० लोगों के रहने के लिए भवन बनाया जायेगा । विकलांग छात्रों की छात्रवृत्ति में वृद्धि तथा दुखी और असहाय व्यक्तियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए नीति बनाई जायेगी। घोषणापत्र में अनुसूचित जाति, जनजाति, अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश और पढाई जारी रखने को प्रोत्साहित करने के लिए 18०० रुपए सालाना छात्रवृत्ति दी जायेगी। पेशेवर, तकनीकी, वोकेशनल, कौशल विकास पाठय़क्रमों के लिए पर्याप्त छात्रवृत्ति, स्वरोजगार योजनाओं के लिए आसान किस्तों पर ऋण और द्वारका में हज भवन खोलने का वादा भी किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार पर जोर देते हुए घोषणापत्र में सभी निजी स्कूलों को दूसरी पाली चलाने के विकल्प की अनुमति दी जायेगी। उसी के अनुसार पहले तीन वषरे में कम से कम 25 प्रतिशत अधिक सीट उपलव्ध होंगी । डेढ सौ नये सरकारी स्कूल खोलने के साथ-साथ निकट भविष्य में शिक्षकों के 1० हजार नये पदों का सृजन किया जायेगा। हर स्कूल में योग शिक्षा, खेल सुविधाओं का विस्तार किया जायेगा। खिलाडियों की पुरस्कार राशि में बढोतरी का वादा भी किया गया है।

Wednesday, 20 November 2013

कांग्रेस चाहती है गरीब बैठे हवाई जहाज पर




कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बोले कि ऐसा हिंदुस्तान हमें नहीं चाहिए. इसलिए हमने अधिकार की बात शुरू की. इसका क्या मतलब है. जो भी इस देश में रहता है. उसे कम से कम मदद मिलेगी.कम से कम भोजन और रोजगार मिलेगा. इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम हम करते हैं, मगर हम गरीबों का भी काम करते हैं. यही गेहलोत जी ने राजस्थान में किया. आप किसी भी मजदूर से पूछ लीजिए.’इसके अलावा राहुल गांधी ने अपनी स्पीच में पापा राजीव गांधी को याद किया और बताया कि कैसे उनके लाए कंप्यूटर और मोबाइल से किसानों और गरीबों को सबसे ज्यादा फायदा हुआ. उन्होंने दोहराया कि बीजेपी वाले तब इसका विरोध कर रहे थे.फिर उन्होंने बीजेपी को इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात पर घेरते हुए कहा कि भइया आप तो सड़क, रेलवे लाइन और एयरपोर्ट बनाकर देश बदलने की बात करते हो. कांग्रेस कहती है कि जो हमारे गरीब लोग हैं, उनकी भी मदद करो कि एक दिन वे भी इस पर चल पाएं. गरीबों से सीधे संवाद की कोशिश में राहुल बोले कि किसान ऊपर उड़ता जहाज देखता है और अपने आप से पूछता कि कभी मेरा बेटा, उसका पोता या उसका बेटा, इस पर जा पाएगा या नहीं. इस दौरान राहुल गांधी ने एक दीवार का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ‘मेरी दूसरी राजनीतिक पार्टियों के लोगों से संसद में बात होती है. वे हमसे कहते हैं कि जब आप किसी को मुफ्त में भोजन और दवाई देते हो, तो वह बिगड़ जाता है. हम कहते हैं कि जो गरीबी में फंसा है, उसकी गलती नहीं, उसकी सोच में कमजोरी नहीं.उसके सामने एक दीवार है. उसे हटाने के लिए उसे मदद करने की जरूरत है. वो कहते हैं कि नहीं, ये जो गरीब के सामने दीवार है, इसको गरीब अपने आप तोड़े, सिर से जाकर ठोकर मारे और गिराए. हम कहते हैं कि हम गरीब का हाथ पकड़ेंगे और एक साथ दीवार को तोड़ेंगे.
उन्‍होने कांग्रेस की तारीफ करते हुए कहा कि कांग्रेस युवाओं की पार्टी है, महिलाओं की पार्टी है और हम आम आदमी का विकास करना चाहते हैं और गरीब को मजबूत बनाना चाहते हैं। जबकि भाजपा अमीरों की पार्टी है, उद्योगपतियों की पार्टी है। अगर विकास की बात करें तो भाजपा ने जितनी सड़कें बनाई उससे तीन गुना ज्‍यादा सड़कें हमने बनाई। हमने गरीबों को रोजगार‍ दिया और अब खाद्य सुरक्षा बिल लेकर आये हैं, जिसमें हर व्‍यक्ति को एक रूपये किलो अनाज मिलेगा। हमने भूमि अधिग्रहण बिल को लाने में संघर्ष किया जिससे कि किसानों से जमीन ली जानें पर उन्‍हें इसका चार गुना मुआवजा मिले।










Tuesday, 19 November 2013

सपना बेचिए, करोड़ों कमाइए

अपने अस्तित्व काल से ही झारखंड आर्थिक विकास के लिए केंद्र के लिए मुंह ताकता रहा है। विकास की धारा यहां नहीं बहती। हर चुनाव में स्थानीय विकास मुद्दा बनता है, और चुनाव बाद सरकार गठन के बाद गौण हेा जाता है। लेकिन, इसका अर्थ यह नहीं कि यहां किसी का भी विकास नहीं हो रहा है। राजधानी रांची में तो केवल सपना बेचने का कारोबार 70 करोड़ रुपए से अधिक का बन चुका है। तो विकास की बात बेमानी कैसे हो सकती है।
दरअसल, रांची में प्रमुख व बड़े 40 कोचिंग संस्थान हैं, वहीं, छोटे व मध्यम स्तर के संस्थानों की संख्या करीब 300 होगी। इनमें वैसे शिक्षकों के घर या यहीं स्थित संस्थान भी शामिल हैं, जो अकेले या कुछ अन्य शिक्षकों का सहयोग लेकर कोचिंग क्लासेस संचालित कर रहे हैं। इन सभी संस्थानों का सम्मिलित कारोबार लगभग 70 करोड़ रुपये सालाना है। इनमें बड़े संस्थानों का हिस्सा 50 करोड़ है। छोटे व मध्यम संस्थानों का सालाना कारोबार करीब 20 करोड़। इनमें इंजीनियपरंग, मेडिकल, बैंपकंग, रेलवे, चार्टर्ड एकाउंटेंट, एमबीए, मैनेजमेंट, फ़ैशन डिजाइनिंग, विभिन्न लोक सेवा आयोग, पायलट व एयर होस्टेस सहित विभिन्न व्यावसायिक, तकनीकी व पेशेवर शिक्षा के संस्थानों में नामांकन के लिए कोचिंग करायी जाती है। शहर के कुल आठ संस्थानों का सालाना टर्न-ओवर एक-एक करोड़ से अधिक है। सरकुलर रोड स्थित एक कोचिंग संस्थान की कमाई तो 10 करोड़ प्रति वर्ष है। इंजीनियपरंग की तैयारी करानेवाले शहर के एक प्रतिष्ठित टय़ूटर अकेले सालाना तीन करोड़ कमाते हैं।
इन कोचिंग संस्थानों के लिए विद्यार्थियों के रुझान का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रांची विवि केविभिन्न कॉलेजों में जहां लगभग 75 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं, वहीं इनमें विभिन्न पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियों की संख्या करीब 38 हजार है। ऐसा भी नहीं है कि कोई कोचिंग खोल कर बैठ जाए और विद्यार्थी अपने आप चला आएगा। इसके पीछे भी बाजारवाद है। बाजार के छल-छद्म यहां भी चलते हैं। लिहाजा, कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए हर तरीका अपनाते हैं। लगभग सभी संस्थान अपने सफल विद्यार्थियों की संख्या बढ़ा-चढ़ा कर बताते हैं। नाम, पता कम ही लोगों का बताया जाता है, लेकिन आंकड़ों में सफल विद्यार्थी कई होते हैं। बैंकिंग की तैयारी करानेवाले संस्थानों में इन दिनों कार्यक्रम में बैंक के वर्तमान व पूर्व दोनों अधिकापरयों की शिरकत से उनकी प्रतिष्ठा बढ़ती है।
जानकार बताते हैं कि दिल्ली में ऐसे कई गिरोह हैं, जो विभिन्न राज्यों के कोचिंग व शिक्षण संस्थान के गुमनाम मालिकों को बेस्ट टीचर, बेस्ट एजुकेशनिस्ट जैसे कई पुरस्कार देते हैं। बाद में इस सम्मान का इस्तेमाल अपना कारोबार बढ़ाने के लिए होता है। बताया जाता है कि 10-15 हजार खर्च कर ऐसा पुरस्कार बजाप्ता खरीदा जाता है... और छात्रों को लुभाने के लिए बाकायदा एजेंट की भी नियुक्ति की जाती है। कोचिंग आइआइटी, मेडिकल, बैंकिंग, सिविल सर्विस से लेकर मैट्रिक व इंटर की परीक्षाओं की तैयापरयां कराई जाती है। कोचिंग संस्थान के अलावा हिडेन कोचिंग परंपरा भी तेजी से पनप रही है। इसमें वैसे लोग हैं जो विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत्त शिक्षक व इंजीनियर्स यहां तक कि वर्तमान में विश्वविद्यालयों से जुड़े शिक्षक अपने घरों मेंोत्रों को कोचिंग देते हैं। कोचिंग संचालक प्रत्येक वर्ष विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफ लता का दावा करते हैं। ऐसा नहीं है कि रांची में यह सिलसिला एकबारगी चल पड़ा। अपने पड़ोसी प्रदेश बिहार की राजधानी पटना से रांची वालों ने सीख ली है। बाजार के तौर-तरीकों को भी सीखा और आज कारोबार है करोड़ो में।
काबिलेगौर है कि पिछले वर्ष ही आईआईटी परीक्षा परिणाम के बाद पटना के विभिन्न कोचिंग संचालकों ने 2,500 छोत्रों के सफल होने का दावा किया था। जबकि आईआईटी में सीटों की संख्या करीब नौ हजार है। यहां भी गौर करना होगा कि बिहार में नीतिश सरकार कोचिंग संस्थानों को सरकारी पकड़ में रखना चाहती है। बिहार सरकार अब कोचिंग संस्थानों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। इसके लिए वह एक नया विधेयक भी लेकर आने वाली है। इससे कई कोचिंग संस्थान मालिकों की नींद उड़ गई है। उनके मुताबिक इस कानून का इस्तेमाल अधिकारी उन्हें परेशान करने के लिए कर सकते हैं। वैसे, सरकार अपने फैसले पर अडिग है। अधिकतर कोचिंग संस्थानों के मालिक इस मुद्दे पर खुले रूप से कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं हैं। एक कोचिंग संस्थान के मालिक ने अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया, 'कई कोचिंग संस्थान सचमुच इस तरह का गोरखधंधा चला रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग तो सही तरीके से काम कर रहे हैं। इस कानून के कारण उन पर सरकार कई तरह की बातों को जबरदस्ती थोप देगी। इससे हमें संचालन में काफी दिक्कत होगीं।Ó वहीं कुछेक कोचिंग संस्थान मालिक का कहना है कि अब हमें लाइसेंस लेने के लिए और उसके नवीनीकरण के वास्ते सरकारी अफसरों के आगे-पीछे घूमना पड़ेगा। दूसरी तरफ सिविल सेवा की तैयारी के लिए पटना में कोचिंग संस्थान चलाने वाले संचालक मानते हैं कि नियंत्रण काफी जरूरी है। हालांकि, हर फैसले के कुछ अच्छे नतीजे भी होते हैं और बुरे भी। अच्छा यह है कि इससे कोचिंग संस्थानों की गुणवत्ता बढ़ेगी। वहीं, इससे सरकारी दखलअंदाजी भी बढ़ेगी। वैसे, नफा-नुकसान के मामले में देखें, तो मुझे तो नफा ज्यादा दिखाई दे रहा है।
पटना का कोचिंग व्यवसाय इस वक्त करीब 400-500 करोड़ रुपये का है। साथ ही, इस पर अब तक सरकार का कोई नियंत्रण भी नहीं था। हालांकि, बीते दिनों कोचिंग संस्थानों पर छात्रों का गुस्सा फूटने के बाद अब सरकार ने भी इन पर नकेल कसने की कवायद तेज कर दी है। बिहार मुल्क का पहला ऐसा राज्य होगा, जहां इस बाबत कानून बनेगा। तो क्या यह माना जाए कि प्रदेश में नवनिर्वाचित सोरेन सरकार भी इसी प्रकार का कोई विधेयक लाएगी और छात्रों को सहूलियत प्रदान करेगी।

Saturday, 16 November 2013

गुरुनानक जयंती की धूम


सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व बड़ी ही श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जा रहा है। स्वर्ण मंदिर समेत आज देशभर के गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन का दौर जारी है। गुरुनानक देव जी के पावन प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारों रौशनी से सराबोर है। रात से ही स्वर्ण मंदिर समेत सभी गुरुद्वारों में श्रद्दालुओं का तांता लगना शुरू हो गया। सिखों के पहले गुरु, नानक देव जी के प्रकाश पर्व को समर्पित एक विशाल आलौकिक नगर कीर्तन श्री अकाल तख्त साहिब से पांच प्यारों के नेतृत्व में शुरू हुआ। जो शहर के विभिन्न हिस्सों से होता हुआ वापस श्री हरमंदिर साहिब में सपन्न हुआ। रास्ते में नगर कीर्तन का समूह संगत ने उत्साह के साथ स्वागत किया और पुष्पवर्षा की।
गुरुनानक देवजी सिख धर्म के संस्थापक ही नहीं, अपितु मानव धर्म के उत्थापक थे। वे केवल किसी धर्म विशेष के गुरु नहीं अपितु संपूर्ण सृष्टि के जगद्गुरु थे। 'नानक शाह फकीर। हिन्दू का गुरु, मुसलमान का पीर। उनका जन्म पूर्व भारत की पावन धरती पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 को लाहौर से करीब 40 मील दूर स्थित तलवंडी नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम कल्याणराय मेहता तथा माता का नाम तृपताजी था। भाई गुरुदासजी लिखते हैं कि इस संसार के प्राणियों की त्राहि-त्राहि को सुनकर अकाल पुरख परमेश्वर ने इस धरती पर गुरुनानक को पहुँचाया, 'सुनी पुकार दातार प्रभु गुरु नानक जग महि पठाइया।' उनके इस धरती पर आने पर 'सतिगुरु नानक प्रगटिआ मिटी धुंधू जगि चानणु होआ' सत्य है, नानक का जन्मस्थल अलौकिक ज्योति से भर उठा था। उनके मस्तक के पास तेज आभा फैली हुई थी। पुरोहित पंडित हरदयाल ने जब उनके दर्शन किए उसी क्षण भविष्यवाणी कर दी थी कि यह बालक ईश्वर ज्योति का साक्षात अलौकिक स्वरूप है। बचपन से ही गुरु नानक का मन आध्यात्मिक ज्ञान एवं लोक कल्याण के चिंतन में डूबा रहता। बैठे-बैठे ध्यान मग्न हो जाते और कभी तो यह अवस्था समाधि तक भी पहुँच जाती।
गुरुनानक देवजी का जीवन एवं धर्म दर्शन युगांतकारी लोकचिंतन दर्शन था। उन्होंने सांसारिक यथार्थ से नाता नहीं तोड़ा। वे संसार के त्याग संन्यास लेने के खिलाफ थे, क्योंकि वे सहज योग के हामी थे। उनका मत था कि मनुष्य संन्यास लेकर स्वयं का अथवा लोक कल्याण नहीं कर सकता, जितना कि स्वाभाविक एवं सहज जीवन में। इसलिए उन्होंने गृहस्थ त्याग गुफाओं, जंगलों में बैठने से प्रभु प्राप्ति नहीं अपितु गृहस्थ में रहकर मानव सेवा करना श्रेष्ठ धर्म बताया। 'नाम जपना, किरत करना, वंड छकना' सफल गृहस्थ जीवन का मंत्र दिया। यही गुरु मंत्र सिख धर्म की मुख्य आधारशिला है। यानी अंतर आत्मा से ईश्वर का नाम जपो, ईमानदारी एवं परिश्रम से कर्म करो तथा अर्जित धन से असहाय, दुःखी पीड़ित, जरूरततमंद इंसानों की सेवा करो। गुरु उपदेश है, 'घाल खाये किछ हत्थो देह। नानक राह पछाने से।' इस प्रकार श्री गुरुनानक देवजी ने अन्न की शुद्धता, पवित्रता और सात्विकता पर जोर दिया। गुरुजी एक मर्तबा एक गाँव में पहुँचे तो उनके लिए दो घरों से भोजन का निमंत्रण आया। एक निमंत्रण गाँव के धनाढ्य मुखिया का था, दूसरा निर्धन बढ़ई का था।

Tuesday, 12 November 2013

युगद्रष्टा थे पंडित नेहरु

जवाहर लाल नेहरू हमारी पीढ़ी के एक महानतम व्यक्ति थे। वह एक ऐसे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे, जिनकी मानव-मुक्ति के प्रति सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगी। स्वाधीनता-संग्राम के योद्धा के रूप में वह यशस्वी थे और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए उनका अंशदान अभूतपूर्व था।


आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आजादी के बाद कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ऐसी नींव रखी जिस पर भारत का भविष्य निर्मित हुआ। आजादी के बाद अपने विचारों और नीतियों की वजह से वह भारत के युगद्रष्टा बन गए। भारतीय इतिहास के परिप्रेक्ष्य में नेहरू का महत्त्व उनके द्वारा आधुनिक जीवन मूल्यों और भारतीय परिस्थतियों के लिए अनुकूलित विचारधाराओं के आयात और प्रसार के कारण है। धर्मनिरपेक्षता और भारत की जातीय तथा धार्मिक विभिन्नताओं के बावजूद देश की मौलिक एकता पर जोर देने के अलावा नेहरू भारत को वैज्ञानिक खोजों और तकनीकी विकास के आधुनिक युग में ले जाने के प्रति भी सचेत थे। अपने देशवासियों में निर्धनों तथा अछूतों के प्रति सामाजिक चेतना की जरूरत के प्रति जागरुकता पैदा करने और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान पैदा करने का भी कार्य उन्होंने किया। उन्हें अपनी एक उपलब्धि पर विशेष गर्व था कि उन्होंने प्राचीन हिंदू सिविल कोड में सुधार कर अंतत: उत्तराधिकार तथा संपत्ति के मामले में विधवाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार प्रदान करवाया।
नेहरू का जन्म कश्मीरी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। यह परिवार 18वीं शताब्दी के आरंभ में इलाहाबाद आ गया था। इलाहाबाद में बसे इसी परिवार में उनका जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था। उनके पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू और माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। 15 वर्ष की उम्र में 1905 में नेहरू इंग्लैंड के हैरो स्कूल में भेजे गए। हैरो में दो वर्ष तक रहने के बाद नेहरू केंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज पहुंचे जहां उन्होंने तीन वर्ष तक अध्ययन कर विज्ञान में स्नातक उपाधि प्राप्त की। कैम्ब्रिज छोड़ने के बाद लंदन के इनर टेंपल में दो वर्ष बिताकर उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। भारत लौटने के चार वर्ष बाद मार्च 1916 में नेहरू का विवाह कमला कौल के साथ हुआ। कमला दिल्ली में बसे कश्मीरी परिवार की थीं। दोनों की अकेली संतान इंदिरा प्रियदर्शिनी का जन्म 1917 में हुआ। दिसम्बर 1929 में, कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया जिसमें जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। इसी सत्र के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें ह्यपूर्ण स्वराज्यह्ण की मांग की गई। 26 जनवरी, 1930 को लाहौर में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया। जवाहर लाल नेहरु 1930 और 1940 के दशक में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। 1947 में भारत को आजादी मिलने पर वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों में ह्यगुटनिरपेक्षह्ण नीतियों की शुरूवात जवाहरलाल नेहरु द्वारा हई। पंचायती राज के हिमायती नेहरु जी का कहना था कि:-
अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टि से, आज का बड़ा सवाल विश्वशान्ति का है। आज हमारे लिए यही विकल्प है कि हम दुनिया को उसके अपने रूप में ही स्वीकार करें। हम देश को इस बात की स्वतन्त्रता देते रहे कि वह अपने ढंग से अपना विकास करे और दूसरों से सीखे, लेकिन दूसरे उस पर अपनी कोई चीज नहीं थोपें। निश्चय ही इसके लिए एक नई मानसिक विधा चाहिए। पंचशील या पाँच सिद्धान्त यही विधा बताते हैं।ह्ल 27 मई 1964 की सुबह जवाहर लाल नेहरु जी की तबीयत अचानक खराब हो गई थी, डॉक्टरों के अनुसार उन्हे दिल का दौरा पङा था। दोपहर दो बजे नेहरु जी इह लोक छोङकर परलोक सिधार गये।
हमारी विदेश नीति का मूलाधार आज भी नेहरू का दिया हुआ ही है। समय के साथ विदेश नीति में बदलाव तो होता रहता है लेकिन बुनियादी अवधारणा में आज भी कुछ खास बदलाव नहीं हुआ है। भारत के आजाद होने से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने 1925 में विदेशी मामलों की एक इकाई बनायी जिसके अध्यक्ष पंडित नेहरू थे। उसी समय उन्होंने औपनिवेशिक देशों के बीच समन्वय स्थापित करने का प्रयास शुरू कर दिया जिसमें वह काफी हद तक सफल भी रहे। आजादी से पहले ही नेहरू ने यूरोप और कई देशों की यात्रा की थी। उन्होंने कई औपनिवेशिक देशों के नेताओं से संपर्क स्थापित किया. यहां तक की औपनिवेशिक देशों की एक अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस भी आयोजित की गयी थी। यही वजह है कि आजादी के बाद हमें कई सारे राष्ट्रों से संबंध स्थापित करने में किसी बड़ी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।
आजादी के समय की तत्कालीन परिस्थितियों को भांपते हुए नेहरू ने गुटनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया। दो ध्रुवीय शक्तिशाली गुटों के बीच संतुलन बनाने की उसी नीति पर भारत आज भी खड़ा है हालांकि आज दुनिया में एकमात्र महाशक्ति बची हुई है। गुटनिरपेक्षता का यह मतलब नहीं है कि भारत किसी खास देश से संबंध रखेगा या अमुक देश से नहीं रखेगा। गुटनिरपेक्षता का मतलब यह है कि भारत किसी भी गुट की नीतियों का समर्थन नहीं करेगा और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बरकरार रखेगा। दरअसल, जवाहरलाल नेहरू एक ऐसे युगद्रष्टा थे जिन्होंने आने वाले समय की पदचाप को सुना और शायद यही वजह है कि उन्होंने न केवल आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों की स्थापना की बल्कि देश में उद्योग धंधों की भी शुरूआत की। नेहरू इन उद्योगों को देश के आधुनिक मंदिर मानते थे और वे बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय थे। बच्चों में ह्यचाचा नेहरूह्ण के नाम से मशहूर पंडित नेहरू का जन्मदिन बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। बच्चों के बीच चाचा नेहरू के नाम से मशहूर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने स्वतंत्र भारत का जो स्वरूप आज हमारे सामने मौजूद है, उसकी आधारशिला रखी थी। आधुनिक भारत के निर्माण की राह बनाने के साथ ही उन्होंने देश के भावी सामाजिक स्वरूप का खाका भी खींचा था। दुनिया के पटल पर भारत आज अपने जिन मूल्यों आदर्शो के लिए जाना पहचाना जाता है, उसे स्वरूप प्रदान करने का श्रेय एक हद तक नेहरू को दिया जा सकता है। उनके बारे में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था, ''जवाहर लाल नेहरू हमारी पीढ़ी के एक महानतम व्यक्ति थे। वह एक ऐसे अद्वितीय राजनीतिज्ञ थे, जिनकी मानव-मुक्ति के प्रति सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगी। स्वाधीनता संग्राम के योद्धा के रूप में वह यशस्वी थे और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए उनका अंशदान अभूतपूर्व था।''


(लेखक अधिवक्ता हैं)

Wednesday, 6 November 2013

अंतरिक्ष में हमारे मजबूत कदम, सोनिया गांधी ने दी बधाई



मंगल ग्रह पर भारत का मिशन मंगल सफलतापूर्वक शुरू हो गया है। करीब 10 महीने बाद भारत का ये बेहद खास मिशन मंगल ग्रह पर पहुंचकर वहां जीवन की तलाश करेगा। मंगल मिशन की सफल शुरुआत पर इसरो को पूरे देश के साथ-साथ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और तमाम दलों ने बधाई दी है। दरअसल दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर जैसे ही काउंटडाउन खत्म हुआ तो पीछे आग छोड़ता पीएसएलवी रॉकेट भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन पर असीम अंतरिक्ष के लंबे सफर पर चल पड़ा। एक ऐसी मंगल यात्रा पर जो अगर कामयाब हो गई तो लाल ग्रह के रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा और अंतरिक्ष में छुपे तमाम संसाधनों के लिए मची होड़ में भारत अहम शक्ति साबित होगा। शुरुआती 5 मिनट ना सिर्फ इसरो स्पेस सेंटर में बरसों से काम कर रहे तमाम वैज्ञानिकों के लिए तनाव भरे थे, बल्कि पूरा देश इस ऐतिहासिक लम्हे के हर पल पर नजर रखे हुए था। 2 बजकर 47 मिनट पर इसरो से खबर आई कि सारे सिस्टम ठीक काम कर रहे हैं। रॉकेट सही दिशा में है। और फिर अपने तय समय 3 बजकर 20 मिनट पर मंगलयान पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो गया। खुद इसरो के मुखिया सामने आए और उन्होंने ये खुशखबरी देश और दुनिया को दी।

देश के प्रथम मंगल यान को लेकर एक प्रक्षेपण यान के प्रस्थान करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों को बधाई दी। प्रक्षेपण यान आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से मंगलवार को छोड़ा गया। सोनिया गांधी ने एक बयान में कहा, हमारे महान वैज्ञानिकों के इस विशिष्ट प्रयास पर हर भारतीय को गर्व है। गौरतलब है कि अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया में भारत ने आज इतिहास रच दिया है हिंदुस्तान का मंगलयान लाल ग्रह के लिए उड़ान भर चुका है।
आइआरएनएसएस- 1ए के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत भी उन चंद देशों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जिनके नेविगेशन उपग्रह अंतरिक्ष में मौजूद हैं. सात उपग्रहों पर आधारित यह नेविगेशन प्रणाली 2015 तक पूरी तरह अंतरिक्ष में स्थापित हो जायेगी. इसका उपयोग जमीन, समुद्र और अंतरिक्ष में नेविगेशन और आपदा प्रबंधन और वाहन की स्थिति का पता लगाने, मोबाइल फोनों के एकीकरण, सही वक्त बताने, नक्शा बनाने, यात्रियों द्वारा नेविगेशन में मदद लेने और ड्राइवरों द्वारा विजुअल तथा वायस नेविगेशन के लिए किया जा सकेगा.
इसके जरिये किसी वाहन पर जा रहे लोगों पर नजर रखी जा सकती है, जो उत्तराखंड जैसी आपदा की स्थिति में उपयोगी सिद्ध होगा. इससे अमेरिकी नेविगेशन जीपीएस पर हमारी निर्भरता धीरे-धीरे समाप्त हो जायेगी. कम पूंजी के बावजूद भारतीय वैज्ञानिकों ने सूझ-बूझ से दुनिया के सबसे सस्ते अंतरिक्ष कार्यक्र म को सफल बनाया है. यह न केवल अंतरिक्ष के क्षेत्र में हमारी बेमिसाल उपलिब्ध है, बल्कि इससे अंतरिक्ष तकनीक के मामले में हमारी साख भी बढ़ी है.
‘मंगलयान’ के लिए अंतरिक्ष में 25 करोड़ किलोमीटर का सफर आसान नहीं है। इस दौरान ‘मंगलयान’ को सौर विकिरण का खतरा होगा। इसे बेहद कम और बेहद ज्यादा तापमान से गुजरते हुए अपने उपकरणों को बचाना होगा। इतना ही नहीं डीप स्पेस में जरा सी चूक अंतकाल तक के लिए किसी भी यान को भटका सकती है। इससे बचने के लिए भारत के काबिल वैज्ञानिकों ने कई इंतजाम किए हैं। पूरे मंगलयान को सुनहरे रंग के कवर से लपेटा गया है। ये कवर खास कंबल का काम करेगा जो उसे गर्मी और सर्दी दोनों से बचाएगा।
मंगलयान को पिछले महीने 19 अक्टूबर को ही छोड़े जाने की योजना थी, लेकिन दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में मौसम खराब होने के कारण इसे टाल दिया गया था। मंगल की अपनी असली यात्रा मंगल यान एक दिसंबर को शुरू करेगा और अगले साल 24 सितंबर तक मंगल की कक्षा में पहुंचकर वहां से डाटा भेजना शुरू करेगा। मगर इस राह में चुनौतियां हजार हैं क्योंकि साल 1960 से अब तक 45 मंगल अभियान शुरू किए जा चुके हैं जिनमें से एक तिहाई नाकाम रहे हैं। और तो और अब तक कोई भी देश अपने पहले प्रयास में सफल नहीं हुआ है।
फिर वो चाहे अंतरिक्ष में मानवयुक्त यान भेजने वाला चीन हो या फिर जापान। भारत से उम्मीदें बहुत हैं क्योंकि चंद्रयान और कई सैटेलाइट्स की कामयाबी से दुनिया की नजर भारत की ओर है। अगर भारत को कामयाबी मिलती है तो वो अमेरिका, रूस और यूरोपियन यूनियन के बाद चौथा ऐसा देश होगा।
फिलहाल अमेरिका का क्यूरोसिटी मंगल की जमीन पर काम कर रहा है और वहां से तमाम जानकारियां भेज रहा है। क्यूरोसिटी से मिली तस्वीरों से ये तो साफ है कि मंगल के दो ध्रुवों में बर्फ के रूप में पानी है लेकिन मंगल पर मीथेन गैस या फिर यूं कहें कि जीवन के सबूत खोजने का ये मिशन भारत के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए अहम है। मंगलयान को सफलतापूर्वक लॉन्च कर और उसे पृथ्वी की कक्षा में कामयाबी से स्थापित कर इसरो ने पहली जंग जीत ली है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, नेता विपक्ष और बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी समेत पूरे देश ने इस कामयाबी पर वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
इंसान के मंगलकारी भविष्य के लिए 25 करोड़ किलोमीटर लांघने निकल चुका है हिंदुस्तान का मंगलयान। उसे जाना है अंतरिक्ष में पृथ्वी के पड़ोस तक, यानि मंगल या मार्स तक, वो ग्रह जिसका नाम ग्रीक युद्ध के देवता के नाम पर पड़ा। पृथ्वी का सबसे करीबी भाई, वो भाई जो बुरी तरह जंग खाया हुआ है और इसी व्रुाह से लाल या गाढ़ा भूरा दिखता है। जो रहस्य और रोमांच से भरपूर है। मंगल मित्रवत नहीं है, इसका पारा कभी बेहद गर्म तो कभी बेहद ठंडा पड़ता रहता है। जहां हैं तो सिर्फ रेगिस्तान और शायद ठंडे सोते ज्वालामुखी, जहां शायद कहीं छिपा है पानी और कहीं गहरे दबे हैं जीवन के अवशेष।

Saturday, 2 November 2013

शुभ दीपावली



दीपावली पर्व है खुशियों का, उजालों का । इस दीपावली आपका जीवन खुशियों से भरा हो, दुनिया उजालों से रोशन हो, घर पर माँ लक्ष्मी का आगमन हो । दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावली शब्द ‘दीप’ एवं ‘आवली’ की संधिसे बना है। आवली अर्थात पंक्ति, इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है, दीपोंकी पंक्ति । भारतवर्षमें मनाए जानेवाले सभी त्यौहारों में दीपावलीका सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात् ‘अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए’ यह उपनिषदोंकी आज्ञा है। इसे सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं।[1] माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे।[2] अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से उल्लसित था। श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाए । कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं। यह पर्व अधिकतर ग्रिगेरियन कैलन्डर के अनुसार अक्तूबर या नवंबर महीने में पड़ता है। दीपावली दीपों का त्योहार है। इसे दीवाली या दीपावली भी कहते हैं। दीवाली अँधेरे से रोशनी में जाने का प्रतीक है। भारतीयों का विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो माऽ सद्गमय , तमसो माऽ ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती है। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन,सफ़ेदी आदि का कार्य होने लगता हैं। लोग दुकानों को भी साफ़ सुथरा का सजाते हैं। बाज़ारों में गलियों को भी सुनहरी झंडियों से सजाया जाता है। दीपावली से पहले ही घर-मोहल्ले, बाज़ार सब साफ-सुथरे व सजे-धजे नज़र आते हैं।