Tuesday, 29 October 2013

राहुल के कार्यक्रमों से विपक्ष में हड़कंप


कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में पिछले 15 साल में हुए विकास कार्यों और यूपीए सरकार के महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा विधेयक के तौर पर कांग्रेस की उपलब्धियां गिनाते हुए प्रवासी मतदाताओं तक पहुंच बनाने का प्रयास किया, जो दिल्ली की जनसंख्या के करीब एक-तिहाई हैं। प्रदेश में विकास कार्यों के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की तारीफ करते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने विकास के मुद्दों की अनदेखी के लिए विपक्ष की निंदा की। रैली में राहुल गांधी ने कहा कि पिछले 15 सालों में शीला दीक्षित ने दिल्ली को बदल दिया है। दिल्ली को शीला जी ने हाईटेक बनाया। दिल्ली में 130 फ्लाईओर और ओवरब्रिज बनाए गए। दिल्ली के मुद्दों पर केंद्रित रहे राहुल ने कहा कि दिल्ली के मेट्रो के मॉडल को इंडोनेशिया जैसे दूसरे देशों में भी अपनाया जा रहा है। यूपीए सरकार ने दिल्लीवासियों को एक चमकता हुआ विश्वस्तरीय हवाई अड्डा दिया है। काम और रोजगार की तलाश में खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से दिल्ली आकर बस गए लोगों को दिए संदेश में राहुल ने कहा, जो लोग बाहर से आते हैं, हम उनके हाथों में हाथ डालकर उनके साथ आगे बढ़ते हैं।
दरअसल,  कांग्रेस पार्टी ने विभिन्न विषय-विशेषज्ञों के परामर्श, सहयोग और मार्गदर्शन से सामाजिक उत्थान के लिए कई कार्यक्रम बनाए तथा नीतियों और योजनाओं को जमीनी स्वरूप देने के प्रयास शुरू किए। केंद्र भी अपने-अपने क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से उनके कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों का व्यापक स्वरूप से निर्धारण किया गया। प्रजातांत्रिक प्रणाली लागू होते ही प्रारंभिक दौर में समाज में व्याप्त पिछड़ापन, असमानता, अज्ञानता, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा जैसे अभिशापों से मुक्ति दिलाने का मुद्दा प्राथमिकता में था। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच खाइयों को पाटने के उद्देश्य से तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कुशल और सक्षम नेतृत्व में आर्थिक, सामाजिक, औद्योगिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्यों की शुरुआत हुई। उस दौर में जन-जन के आत्म सम्मान को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गरीबों, असहायों और कमजोर तबके के समस्त लोगों के प्रति हमदर्दी का रुख अख्तियार कर तत्कालीन कांग्रेस सत्ता में उदारतापूर्वक अभियान शुरू हुए। इसके तहत गरीबों के बीच जाकर नेताओं ने उनके दु:ख दर्द जानकार उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीवनयापन के अवसर उपलब्ध कराने की योजनाओं पर मैदानी काम शुरू कर दिए थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, लालबहादुर शास्त्री जैसे महान नेताओं ने समाज में व्याप्त आर्थिक असमानता, जातिगत वैमनस्यता, साम्प्रदायिक कटुता और धार्मिक कट्टरता जैसी बुराइयों से भारत को मुक्त रखने में जनसामान्य का विश्वास और समर्थन प्राप्त करने में किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ी थी। स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी ने तो गरीब से गरीब परिवार के जीवन में खुशहाली लाने के उद्देश्य से गरीबी हटाओ जैसे अभियान को जन्म दिया। उनके समय में 20 सूत्रीय कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के जरिए भी देश के चहुंमुखी विकास के साथ ही समाज के निरीह, असहाय और अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति तथा जनजातियों के लोगों को समाज में इात और सम्मान के साथ जीने का अवसर उपलब्ध कराने के लिए भी एक नया वातावरण तैयार किया। पंडित नेहरू और इंदिराजी जब-जब भी दूरस्थ अंचलों, विशेषकर आदिवासियों और अनुसूचित जातियों के लोगों की बसाहट के बीच जाते थे, तब-तब वे गरीब परिवारों की कुटिया में पहुंचकर उनमें व्याप्त हीनभावनाओं को दूर कर उन्हें आत्मसम्मान के साथ जीने की प्रेरणा, प्रोत्साहन और सहयोग दिया करते थे। स्व. राजीव गांधी भी दलितों और गरीबी की रेखा के नीचे जीवनयापन करने वालों के बीच पहुंचकर, विशेषकर वनग्रामों की यात्रा के दौरान लोगों की झोपड़ियों में पहुंचकर उनके पारिवारिक स्तर और जीवन की कठिनाइयों से अवगत होने में पीछे नहीं रहते थे। कांग्रेस की सत्ता की नीतियों के अनुरूप गरीबों के उत्थान के प्रति चिंता जताना और उनकी समस्याओं का निदान निकालने की परंपरा का आज भी राहुल गांधी पालन कर रहे हैं। अपने पिता स्व. राजीव गांधी के आकलन के अनुसार राहुल भी मानते हैं कि गरीबों के हित में कार्यक्रम की योजनाएं तो खूब संचालित हैं किंतु उन तक उसका बहुत ही कम प्रतिशत में लाभ पहुंच पाता है। राहुल गांधी ने भी नेहरू, इंदिरा गांधी , राजीव गांधी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपनी यात्रा में गरीबों के घर पहुंचने का उद्देश्यपूर्ण अभियान बड़े जोरों से शुरू कर दिया है। राहुल गरीबों के घरों में पहुंचने के कार्यक्रमों से विपक्ष के दलों में हड़कंप मच गया है। गरीबों के प्रति हमदर्दी की परंपरा रखने वाली कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी को तो गरीब की कुटिया में पहुंचने की नीति विरासत में मिली है, जिससे यह पार्टी जन विश्वसनीयता भी हासिल करती रही है, किंतु अब विपक्षी पार्टियों द्वारा भी गरीबों के कल्याण के प्रति हमदर्दी दिखाने की जो शुरुआत देखी जा रही है, उसका क्या नतीजा निकलेगा और जनता में विश्वसनीयता का कितना ग्राफ ऊंचा उठ सकेगा यह आने वाले निर्वाचनों के समय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ही बता पाएगी। सोनियाजी गरीबों की नेता हैं। गरीबों का ध्यान रखने वाली नेता हैं। गरीबों की चिंता करने वाली नेता हैं। 

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