Friday, 3 April 2015

अन्नदाता का हित सर्वोपरि


कांग्रेस केवल सत्ता के लिए केवल राजनीति नहीं करती है। कांग्रेस ने हमेशा ही किसानों के लिए काम किया है। काम करती रहेगी। 60 हजार करोड़ किसानों का कर्ज माफ किया। कांग्रेस की जो नीति रही है और है, उस पर हमारी पार्टी की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी अमल कर रही है। जब भी किसी देश की जनता को दर्द हुआ है, कांग्रेस ने आगे आकर उसका दर्द बांटा है। आज भी वही किया जा रहा है।
हर बात में राजनीति हमलोग नहीं करते हैं। हमारे लिए राजनीति सेवा का माध्यम है। श्रीमती सोनिया गांधी संगठन को मजबूत करने के लिए पूरे देश का दौरा कर रही हैं। हमारी सरकार जब केंन्द्र में थी, तो महिला सशक्तीकरण और भूमि अधिग्रहण के लिए काम किया। जो भी अब तक वंचित रहा है, उसे सशक्त करने की हमारी कोशिश होती है। कांग्रेस ने तमाम मानदण्डों के आधार पर कोई भी निर्णय लिया है, लेकिन वर्तमान सरकार तो केवल अध्यादेश का सहारा लेती है। हमारी नेता सोनिया गांधी का साफ कहना है कि ‘अदूरदर्शी’ मोदी सरकार उद्योगपतियों को लाभ देने के लिए झुकी पड़ी है। उन्होंने मांग की कि संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठकर 2013 में यूपीए द्वारा लाए गए भूमि अधिग्रहण कानून को समग्रता में वापस लाया जाए। किसान हमारे देश की रीढ़ हैं और हर हाल में उनके हितों की रक्षा होनी ही चाहिए और इस पर कांग्रेस कोई समझौता नहीं कर सकती। हम इस देश की रीढ़ तोड़ने वाले किसी कानून का कभी समर्थन नहीं कर सकते। इसलिए मैं आपसे आग्रह करती हूं कि संकीर्ण पक्षपातपूर्ण राजनीति से ऊपर उठें और 2013 के उस कानून को समग्रता में वापस लाएं जो कि हमारे किसान भाइयों एवं बहनों की भावनाओं और आकांक्षाओं के अनुकूल था। सरकार द्वारा मनमाने ढंग से किसान विरोधी कानून थोप देने के बाद बहस की बातें करना राष्ट्रीय महत्व की नीतियां लागू करने के पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सर्वानुमति बनाने की परंपरा का उपहास करने के बाराबर है।
देखिए, मंत्री नितीन गडकरी ने अपने पत्र में भूमि अधिग्रहण में प्रस्तावित बदलावों को यह कह कर जायज ठहराने की कोशिश की है कि इससे गांव, गरीबों, किसानों और मजदूरों का फायदा होगा.. आपके तर्क यह जताने के लिए दिए गए हैं कि ये सब बातें यूपीए सरकार के विपरीत जैसे नरेन्द्र मोदी सरकार का नया योगदान है, और आपके कानून का विरोध करने वाले किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी हैं।  किसानों की जाने वाली आजीविका और उन्हें होने वाली पीड़ा को समझने के कांग्रेस और बीजेपी के तरीकों में बुनियादी अंतर है। यह खेदजनक है कि गरीब किसानों और जरूरतमंद श्रमिकों के हित में आवाज उठाने वालों को मोदी सरकार राष्ट्र विरोधी बता रही है और कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
किसान नहीं रहेगा, तो देश नहीं रहेगा। इस सच को क्या हम या आप नहीं जानते हैं। हमारे देश के अन्नदाता को बार-बार दैवीय प्रकोप को सहन करना पड़ता है। हमारे देश का अन्नदाता यानी भारतीय किसान वैसे तो लगभग प्रत्येक वर्ष देश के किसी न किसी हिस्से में आने वाली बाढ़ अथवा सूखे के कारण संकट का सामना करता ही रहता है। खासतौर पर गरीब व मध्यमवर्गीय किसान तो ऐसे हालात से प्रायरू प्रभावित ही रहता है। परंतु इस वर्ष मार्च के महीने में हुई बेतहाशा बारिश व इसी के साथ-साथ आने वाले आंधी-तूफान व ओलावृष्टि ने तो मानो देश के किसानों विशेषकर उत्तर व मध्य भारत के ‘अन्नदाता’ की तो कमर ही तोड़ कर रख दी। किसानों के खेतों में रबी की फसलों के रूप में तैयार हो रही गेहूं,सरसों,अरहर,चना,लाही के अतिरिक्त मटर,टमाटर,आलू जैसी और भी कई सब्जियां व तंबाकू,तिलहन व दलहन की कई किस्में जो तैयारी के कगार पर थीं लगभग नष्ट हो गई हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ने बंगाल की खाड़ी तथा हिंद महासागर से अर्थात् देश के पूर्वी और पश्चिमी देानों ही छोर से एक साथ नमी उठाई जोकि इतने बड़े पैमाने पर होने वाली बारिश का कारण बनी। दिल्ली व आसपास के क्षेत्रों में तो मार्च के महीने में होने वाली इस बारिश ने पिछले सौ वर्षों की बारिश का रिकार्ड तोड़ दिया। बताया जाता है कि इसके पूर्व 1915 में दिल्ली में इतनी वर्षा रिकॉर्ड की गई थी। बारिश के साथ-साथ सक्रिय रही चक्रवाती हवाओं ने भी किसानों की आजीविका पर भारी कहर बरपा किया है।
देश के विभिन्न भागों से किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने, अपनी तबाह फसल को देखकर हृदयगति रुक जाने से उनका देहांत होने जैसे हृदयविदारक समाचार भी सुनाई देने लगे हैं। जाहिर है विभिन्न राज्यों की सरकारें ऐसे संकट के समय में किसानों के साथ उनका दुरूख बांटने हेतु सहायतार्थ आर्थिक पैकेज घोषित करती भी नजर आ रही हैं। किसानों पर टूटे इस प्राकृतिक कहर के प्रभाव से आम नागरिक भी अछूता नहीं रहने वाला। विशेषज्ञों के अनुसार शीघ्र ही दलहन,तिलहन और तत्काल रूप से विभिन्न सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में आम देशवासियों को इस मौसम का भुगतान करना पड़ सकता है। इससे उनकी कमर टूट जाती है। उसे अभी मदद की जरूरत है। उसे संवारना देश के हर जिम्मेदार और सक्षम नागरिक का कर्तव्य है। कांग्रेस ने हमेशा ही किसानों की हित की बात की। बैंकों के द्वारा कर्ज, खाद, बीज संबंधी सहूलियत प्रदान करवाई। किसान इस देश की रीढ़ हैं। इस सच को हर देशवासी को समझना होगा। यदि अन्नदाता अनाज पैदा नहीं करेगा, तो लोग खाएंगे क्या ? देश का जवान तैयार होगा कैसे ?








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