Thursday, 10 July 2014

बजट बेहद निराशानजक

बजट बेहद निराशानजक है। बजट में जो घोषणाएं की गईं है उसमें में 99 फीसदी कांग्रेस का काम किया हुआ है, नई सरकार ने कुछ भी नया नहीं किया है। सारे आइडिया हमारे हैं। टैक्स में सिर्फ 50 हजार की राहत ना के बराबर है। आम आदमी को कोई राहत नहीं है। बजट में ना कोई विजन है और ना ही कोई रोडमेप है। आखिर सरकार देश को कहा ले जाना चाहती है। विडंबना है कि एफडीआई का विरोध करने के बाद वे आज इसके नियम आसान कर रहे हैं। इस बजट के बाद आम आदमी के ऊपर भार बढ़ने वाला है।बजट में कोई बड़ा विचार दूर-दूर तक नहीं था। अगर आप अपनी आंखें बंद कर लें तो यह चिदंबरम का भाषण जैसा लग सकता है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने नरेंद्र मोदी सरकार का पहला बजट पेश करते हुए आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार पर चिंता जताई और इसे तेज करने के लिए सुधार के कदम उठाने का वादा किया। वित्तमंत्री ने कहा, भारत की जनता ने बदलाव के लिए हमें निर्णायक वोट दिया है। मेरे द्वारा बजट में उठाए गए कदमों का लक्ष्य अगले तीन-चार साल में विकास दर को सात से आठ फीसदी तक पहुंचाना, महंगाई को कम करना, वित्तीय घाटे को कम करना और चालू खाते के घाटे को कम करना होगा। सेक्शन 80सी के तहत निवेश पर टैक्स छूट सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दी है।  अब 1.5 लाख रुपये के बजाए 2 लाख रुपये तक के होमलोन के ब्याज पर टैक्स छूट मिलेगी। पीपीएफ में निवेश की सीमा बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये हुई है। वहीं बजट में जूते-चप्पल, छोटे फ्लैट टीवी, स्पोर्ट्स का सामान, साबुन, कंप्यूटर, ब्रांडेड कपड़े, पैकेज्ड फूड और सोलर प्रोडक्ट्स सस्ते हुए हैं। हालांकि, सरकार ने तंबाकू उत्पादों पर टैक्स बढ़ाया है। सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला महंगे होंगे। साथ ही कोल्ड ड्रिंक, इंपोर्टेड मोबाइल, रेडियो टैक्सी सेवा महंगे हो गए हैं।
सोशल सेक्टर में कोई बढ़िया निवेश नहीं है। विकास दर का लक्ष्य बेहद कम है। हम आठ साल तक उससे ज़्यादा देते रहे हैं। बीजेपी विपक्ष में बहुत चिल्लाती थी अब हकीकत पता चल रही है। बजट में वित्त मंत्री ने ऐसा कुछ नहीं है जिससे आम आदमी को फायदा हो। हां, कुछ बातें ऐसी जरूर हैं जिससे उद्योगपतियों को फायदा हो। हवाई बातों का पिटारा है उनका ये बजट। इस बजट से उम्मीदें कम नजर आती हैं।

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