Sunday, 4 May 2014

वाणी पर संयम है जरूरी

हाल के ही मामलों को देखें तो चुनाव आयोग ने समाज में कटुता फैलाने एवं उन्मादी भाषणों पर भाजपा नेता अमित शाह और समाजवादी नेता आजम खान की रैलियों पर रोक लगा दी। यानी ये दोनों नेता उत्तर प्रदेश में लोकसभा के बाकी बचे चरणों में रैली, भाषण, जुलूस आदि में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। लेकिन, चुनाव आयोग कार्रवाई करे या फिर चेतावनी दे, नेताओं के भड़काउ बोल रुकने का नाम नहीं ले रहे। एक के बाद एक नेताओं के बेतुके बयान सामने आ रहे हैं। डॉक्टर प्रवीण तोगडि़या और बिहार भारतीय जनता पार्टी के एक प्रमुख नेता द्वारा की गई टिप्पणियों ने पुनः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के असली चेहरे को उजागर कर दिया है। डाक्टर प्रवीण तोगडि़या ने गुजरात के एक शहर के हिन्दू मोहल्ले में एक मुसलमान द्वारा मकान खरीदने पर सख्त ऐतराज जाहिर किया और उस क्षेत्र के हिन्दुओं से कहा कि वे मुसलमान द्वारा खरीदे जा रहे मकान पर कब्जा कर लें या उसमें आग लगा दें। इसी तरह, बिहार के गिरिराज सिंह ने कहा है कि जो भी नरेन्द्र मोदी का विरोध करता है उसे पाकिस्तान चले जाना चाहिए। डाक्टर प्रवीण तोगड़िया, संघ परिवार के एक बहुत ही महत्वपूर्ण सदस्य हैं। संघ परिवार की अनेक शाखाएं हैं,जिनमें एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण शाखा विश्व हिन्दू परिषद है। इस समय डाक्टर तोगड़िया विश्व हिन्दू परिषद के मुखिया हैं। इसी तरह, गिरिराज सिंह,जो भाजपा के लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं, बिहार  मंत्रिपरिषद के सदस्य रहे हैं, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद में वे भाजपा के प्रतिनिधि के रूप में शामिल रहे हैं। उनके पास महत्वपूर्ण विभाग रहे हैं।
सच तो यह भी है कि देश में लोकतांत्रिक इतिहास में यह लोकसभा चुनाव शायद सबसे ज्यादा अभ्रद भाषा के इस्तेमाल के लिए जाना जाएगा। विभिन्न दलों के नेता निरंतर एक-दूसरे के खिलाफ आपत्तिजतनक और अभद्र शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। राजनीतिक विरोध का स्तर पर इतना नीचे गिर गया है कि केंद्रीय मंत्री भी अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी सबसे ज्यादा निशाने पर रहे हैं। मोदी भी अपने विरोधियों के खिलाफ हमले करते निजी स्तर तक चले जाते हैं। हालांकि मोदी ने भी रक्षा मंत्री एके एंटनी और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को ‘पाकिस्तान का एजेंट’ कहा। जैसे-जैसे चुनाव आगे बढते जा रहे हैं नेताओं की जुबान और भी ज्यादा तल्ख होती जा रही है। विरोधियों पर वार करने में नेता कब मर्यादा की सीमा लांघ जा रहे हैं पता ही नहीं चल रहा। कभी अमित शाह, आजम खान तो कभी गिरिराज शाह, मानो हर नेता में दूसरे से ज्यादा तीखे और बेतुके बयान देने की होड़ लगी है। इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष अजित सिंह का। अलीगढ़ की एक सभा में बोलते हुए अजित सिंह ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की तुलना बकरे से कर डाली। और उसके बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने मोदी से बेहतर तो कसाई को बता दिया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी की सरकार पर आरोप लगाया कि वह किसानों की जमीन चुरा रहे हैं। उन्होंने मोदी का नाम लिए बगैर कहा वह ‘नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर’ की तरह काम करते हैं। वैसे, मोदी राहुल को अक्सर ‘शहजादा’ कहते रहे हैं और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ इतालवी मरीन के मुद्दे को लेकर निशाना साधा। उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान मसूद ने मोदी को ‘टुकडे-टुकडे करने’ वाला बयान देकर विवाद खडा किया। इस बयान को लेकर उन्हें जेल की हवा खानी पडी. विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हम तुमको (मोदी) लोगों की हत्या करने का आरोपी नहीं बता रहे हैं। हमारा आरोप है कि तुम नपुंसक हो।’ केंद्रीय कृषि मंत्री और राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि मोदी को मानसकि अस्पताल में उपचार कराने की जरूरत है।
भाजपा नेता और पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस वोटरों को भाजपा का नाम ले ले कर धमका रही है, तो दूसरी तरफ आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह ने मोदी को बकरा बता दिया। वहीं बिहार के भागलपुर में एक रैली में बोलते हुए जेडीयू नेता शकुनि चैधरी ने मोदी को वहीं गाड़ देने की बात कही। गिरिराज सिंह अकेले नहीं हैं, जो इस बार के चुनाव में भड़काऊ बोल बोल रहे हैं। इससे पहले भी कई नेता इस तरह के बोल बोल चुके हैं। शिकायतों पर चुनाव आयोग ने कार्रवाई भी की है, लेकिन फिर भी चुनावी समर में अपनी-अपनी जीत देख रहे ये नेता जोश में जनता के सामने बेतुके बोल बोलने का सिलसिला जारी रखे हुए हैं।
नेताओं की बदजुबानी की कहानी यहीं नहीं रुकती। हाल ही में राजद छोड़ जेडीयू में शामिल हुए शकुनी चैधरी एक कदम और आगे बढ़कर मोदी पर हमला बोलते हैं। बिहार के भागलपुर में नीतीश कुमार के सामने मंच पर खड़े शकुनी चैधरी जोश में जनता से वादा करते हैं कि अगर उनका साथ मिला तो वो मोदी को भागलपुर में ही गाड़ देंगे। बीजेपी नेता नितिन गडकरी भी विरोधियों पर निशाना साध रहे हैं। नेताओं की बदजुबानी को लेकर चुनाव आयोग में लगातार शिकायतें हो रही हैं। आयोग चेतावनी देने से लेकर रैलियों, जनसभाओं, रोड शो पर रोक तक लगा दे रहा है। लेकिन लगता है कि ऐसे बेतुके बयान देने वालों नेताओं को चुनाव आयोग की इन कार्रवाइयों का भी कोई डर नहीं। तभी तो तमाम कोशिशों के बाद भी नेताओं की जबान पर लगाम नहीं लग रही है।
राजनीति में लोग एक-दूसरे पर कीचड़ उछालते रहते हैं लेकिन कोई मंत्री या नेता अपनी मर्यादा को भूल जाए..बड़ी शर्मनाक बात है। चुनाव आयोग ने सही समय पर कदम उठाया नहीं तो आने वाले दिनों में अमित शाह और आजम खान दोनों अपने-अपने वोटों के ध्रुवीकरण के लिए आपत्तिजनक, उकसावे और उन्मादी बयानों का इस्तेमाल करने से नहीं चूकते। स्वतंत्र, निष्पक्ष एवं भय रहित चुनाव संपन्न कराने का पूरा दारोमदार चुनाव आयोग पर होता है। लेकिन कई बार ऐेसा भी देखने में आता है कि नेता आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती। उन्हें नोटिस जारी कर महज कागजी खाना-पूर्ति की जाती है। चुनाव आयोग को बिना भेद-भाव किए आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नेताओं पर कार्रवाई करनी चाहिए। हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ अधिकारियों का तबादला करने से इंकार कर दिया था, लेकिन जैसे ही चुनाव आयोग सख्त हुआ ममता को झुकना पड़ा। चुनाव आयोग को कुछ इसी तरह की कार्रवाई आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले सभी मामलों में करनी चाहिए। कार्रवाई का भय होगा तभी नेता आपत्तिजनक, भड़काऊ और उन्मादी बयान देने से परहेज करेंगे।



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