Wednesday, 25 September 2013

गरीबों के लिए काम करती है कांग्रेस

               
कांग्रेस गरीबों व आम आदमी की पार्टी है, जिसने सदैव उनके हितों की लड़ाई लड़ी है।कांग्रेस आम आदमी की पार्टी है। इसीलिए इसने लंबे समय तक सत्ता में रहकर गरीबों और आम आदमी की सेवा की है। विपक्षी नेता सिर्फ लंबे-चौड़े वादे करते हैं और अमीरों के लिए काम करते हैं, जबकि कांग्रेस पार्टी गरीबों के साथ खड़ी होती है और उन्हें उनके सपनों को साकार बनाने में मदद करने में यकीन रखती है। लोग आते हैं और लंबे-चौड़े दावे करते हैं। हम लंबे-चौड़े दावे करने में यकीन नहीं करते। हम काम करते हैं। हम चाहते हैं कि आपके बच्चे बड़े सपने देखें। अगर आप सपने नहीं देख पाएंगे तो यह देश आगे भी नहीं बढ़ सकता। जब गरीबों के लिए योजनाओं की बात होती है तो वे लोग पूछते हैं कि पैसा कहां से आएगा, परंतु जब खदानें आबंटित होती हैं और जमीनों का अधिग्रहण होता है तो कोई सवाल नहीं पूछता। यही इन दलों और कांग्रेस के बीच अंतर है। केंद्र सरकार ने समाज के सभी वर्गो का ख्याल रखा है। विशेषकर गरीबों के लिए खाद्य बिल पारित करा लागू कराया।खाद्य सुरक्षा विधेयक, भूमि अधिग्रहण विधेयक तथा मनरेगा जैसे संप्रग सरकार सभी योजनाओ को आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के उत्थान के लिए बनाया गया है। कांग्रेस सरकार चाहती है कि देश में पुल बने, सड़क बनें और रेल लाइन बनें पर विपक्ष गरीबों के बारे में नहीं सोंचता है।  विपक्ष चाहता है कि सत्‍ता की ताकत मात्र कुछ लोगों तक ही सीमित होकर रह जाये, कुछ पांच सौ, हजार लोग तरक्‍की करें, लेकिन हम चाहते हैं कि एक गरीब किसान का बेटा पायलेट बने हवाई जहाज उड़ाये। विपक्षी नेता सिर्फ लंबे-चौड़े वादे करते हैं और अमीरों के लिए काम करते हैं, जबकि हमारी पार्टी गरीबों के साथ खड़ी होती है|
गांव के गरीबों और आम भूमिहीनों के बारे में केन्द्र सरकार ने भारी-भरकम धनराशि अपने खजाने से निकाल दी। ग्रामीण क्षेत्रों में आम गरीब को घर बनाने के लिए सरकार ने मदद का हाथ तो बढ़ाया ही ही, साथ ही भूमिहीनों को घर के लिए जमीन खरीदने का दोगुना पैसा देने के लिये भी सरकार ने खजाने को खोल दिया।  कांग्रेस नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार के ताजा फैसले से सरकारी खजाने से 4 हजार करोड़ रुपये की धनराशि गरीबों के सपनों का घर बनाने में खर्च करने हेतु दिये जाने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष में इंदिरा आवास की मद में जहां 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, वहीं आगामी वित्त वर्ष 2013-14 में यह राशि बढ़कर 15 हजार करोड़ रुपये हो जाएगी। ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘इंदिरा आवास योजना’ को गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों खासतौर से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, मुक्त बंधुआ मजदूरों और शारीरिक रुप से अक्षम लोगों को निर्माण/आवास के लिए सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से लागू किया था।

भूमिहीन लाभार्थियों के लिए भी केन्द्र सरकार ने बड़ी राहत देते हुए ऐलान किया कि जिस जमीन पर भूमिहीन अपना आवास बनायेगा उस जमीन को खरीदने के लिए मिलने वाली मदद अब पहले की तुलना में दोगुनी हो जायेगी। इस पहल को बीते दिनों भूमिहीनों को सरकार की तरफ से दिये गये वादे को पूरा करने के रूप में भी देखा जा रहा है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले ऐसे ग्रामीणों को जिनके पास न तो कृषि भूमि है और न ही मकान बनाने के लिए जगह है पहले 10 हजार प्रति आवास की धनराशि मिलती थी अब यह बढ़कर 20 हजार रुपये हो गई है। प्रत्येक आवासीय इकाई में शौचालय बनाने के लिए 9 हजार रुपये अलग से दिए जाएंगे। भूमिहीनों के लिये इंदिरा आवास हेतु जमीन खरीदने का आग्रह केवल सात राज्यों आंध्र प्रदेश, बिहार, केरल, महाराष्ट्र, सिक्किम, उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने ही किया है। विकास की दुहाई देने वाले बाकी राज्य केन्द्र सरकार की इस योजना का लाभ गरीबों तक पहुंचाने में अभी भी कोताही कर रहे हैं।

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