Monday, 23 September 2013

करना होगा जतन


एक रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में एक दलित व्यक्ति ने उच्चतम न्यायालय में इंसाफ के लिए गुहार लगाई है। व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि उच्च जाति से ताल्लुक रखने वाले कुछ बदमाशों, जिनकी जान-पहचान काफी रसूख वालों के साथ है, ने उसकी नाबालिग बेटी के साथ बलात्कार किया है। आरोपियों ने कथित तौर पर परिवार को धमकी दी थी कि मामले को पुलिस में ले जाने पर उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ेगा। परिवार ने उनकी धमकी को गंभीरता से नहीं लेते हुए पुलिस में मामला दर्ज कराया। स्थानीय पुलिस स्टेशन ने उनकी रिपोर्ट लिखने से इनकार कर दिया और बच्ची की मां को गोली मार दी गई। अभी तक किसी को पता नहीं है कि किसने क्या किया है लेकिन पुलिस नाबालिक युवती और उसके परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने में आनाकानी कर रही है। आखिरकार जब युवती के पिता ने उन्हें लगातार मिल रही धमकियों से सुरक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, तब न्यायालय ने इस घटनाक्रम पर 'अप्रसन्नताझ् जताई और पुलिस से इस मामले की जांच करने को कहा। हालांकि रुपये में जारी जबरदस्त गिरावट को सभी अखबारों के मुखपृष्ठद्द पर जगह मिल रही थी ये कुछ ऐसे मामले हैं, जो घटना होने के कई महीने बाद ही सामने आए हैं वह भी इसलिए क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने इसमें दखल दिया।मेरा यह भी कहना है कि देश का विश्वास अगर किसी एक संस्था के ऊपर अभी तक बना हुआ है, तो वह है हमारी न्यायिक व्यवस्था, जो कभी-कभी इसकी झलकियां देती हैं और यह संदेश भी कि लोगों को उसके ऊपर विश्वास बनाए रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट जब फैसला देता है, तो लोगों को लगता है कि न्यायिक व्यवस्था में आस्था रखनी ही चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के बहुत सारे फैसले देश में दिशा निर्देश का काम करते हैं, लेकिन हिंदुस्तान में कुछ ऐसे उदाहरण भी हैं, जिनमें निचली अदालतों ने सटीक फैसले दिए। न्यायिक व्यवस्था को सर्वसुलभ बनाने की जरूरत है, क्योंकि लाखों मामले लंबित हैं, लोग जेलों में हैं, लोग अन्याय सह रहे हैं, बाहुबली और दबंग उनका जिÞंदगी जीना हराम कर रहे हैं। अपनी सीमाओं में बंधे रहने के कारण अदालतें उनकी मदद के लिए आगे नहीं आ रही हैं। कई बार लोगों का आरोप होता है कि सरकार गरीब के साथ नहीं खड़ी है। अगर खड़ी होती, तो गरीब को न्यायालय में जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। वह सरकारी अधिकारियों या मंत्रियों से अपनी शिकायत करके न्याय हासिल कर सकता था। यह न्याय की विडंबना, न्याय की विसंगति कभी-कभी कंपा देता है। आंतरिक अव्यवस्था से बचने का एक बड़ा जरिया हमारी न्यायिक व्यवस्था हो सकती है।

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