Thursday, 24 December 2015

खुषी व उल्लास का पर्व क्रिसमस

क्रिसमस ईसाइयों का पवित्र पर्व है जिसे वह बड़ा दिन भी कहते हैं। प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में संपूर्ण विश्व में ईसाई समुदाय के लोग विभिन्न स्थानों पर अपनी-अपनी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धा, भक्ति एवं निष्ठा के साथ मनाते हैं। क्रिसमस पर घर-घर और प्रत्येक चर्च में सजने वाला क्रिसमस ट्री आज पूरे विश्व में मशहूर हो चला है। रंगबिरंगी सजावटों से, रोशनियों, गिफ्ट्स से सजा-धजा यह क्रिसमस ट्री अपना अद्भुत आकर्षण पेश करता है। हर एक व्यक्ति इसके सौंदर्य में आप ही खो जाता है। रोशनी से नहाया हुआ क्रिसमस ट्री अपनी ख़ूबसूरती की अनोखी छटा बिखेरता है जिसे देखकर मन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है।

 क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। एन्नो डोमिनी काल प्रणाली के आधार पर यीशु का जन्म, 7 से 2 ई.पू. के बीच हुआ था। 25 दिसम्बर यीशु मसीह के जन्म की कोई ज्ञात वास्तविक जन्म तिथि नहीं है और लगता है कि इस तिथि को एक रोमन पर्व या मकर संक्रांति (शीत अयनांत) से संबंध स्थापित करने के आधार पर चुना गया है। आधुनिक क्रिसमस की छुट्टियों मे एक दूसरे को उपहार देना, चर्च मे समारोह और विभिन्न सजावट करना शामिल है। इस सजावट के प्रदर्शन मे क्रिसमस का पेड़, रंग बिरंगी रोशनियाँ, बंडा, जन्म के झाँकी और हॉली आदि शामिल हैं। सांता क्लॉज़ (जिसे क्रिसमस का पिता भी कहा जाता है हालाँकि, दोनों का मूल भिन्न है) क्रिसमस से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिक परंतु कल्पित शख्सियत है जिसे अक्सर क्रिसमस पर बच्चों के लिए तोहफे लाने के साथ जोड़ा जाता है। सांता के आधुनिक स्वरूप के लिए मीडिया मुख्य रूप से उत्तरदायी है।
क्रिसमस को सभी ईसाई लोग मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे एक धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक उत्सव के रूप मे मनाते हैं। क्रिसमस के दौरान उपहारों का आदान प्रदान, सजावट का सामन और छुट्टी के दौरान मौजमस्ती के कारण यह एक बड़ी आर्थिक गतिविधि बन गया है और अधिकांश खुदरा विक्रेताओं के लिए इसका आना एक बड़ी घटना है।
ऐसा माना जाता है कि संत बोनिफेस इंग्लैंड को छोड़कर जर्मनी चले गए। जहां उनका उद्देश्य जर्मन लोगों को ईसा मसीह का संदेश सुनाना था। इस दौरान उन्होंने पाया कि कुछ लोग ईश्वर को संतुष्ट करने हेतु ओक वृक्ष के नीचे एक छोटे बालक की बलि दे रहे थे। गुस्से में आकर संत बोनिफेस ने वह ओक वृक्ष कट‍वा डाला और उसकी जगह फर का नया पौधा लगवाया जिसे संत बोनिफेस ने प्रभु यीशु मसीह के जन्म का प्रतीक माना और उनके अनुयायिओं ने उस पौधे को मोमबत्तियों से सजाया। तभी से क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा चली आ रही है।
आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत पश्चिम जर्मनी में हुई। मध्यकाल में एक लोकप्रिय नाटक के मंचन के दौरान ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों का प्रयोग किया गया जिस पर सेब लटकाए गए। इस पेड़ को स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक दिखाया गया था। उसके बाद जर्मनी के लोगों ने 24 दिसंबर को फर के पेड़ से अपने घर की सजावट करनी शुरू कर दी। इस पर रंगीन पत्रियों, कागजों और लकड़ी के तिकोने तख्ते सजाए जाते थे। 1605 में जर्मनी में पहली बार क्रिसमस ट्री को काग़ज़ के गुलाबों, सेब और केन्डीस से सजाया गया। पहले के समय में क्रिसमस ट्री के टॉप पर बालक यीशु का स्टेच्यू रखा जाता था। जिसका स्थान बाद में उस एंजल के स्टेच्यू ने ले लिया जिसने गरड़‍ियों को यीशु मसीह के जन्म के बारे में बताया था। कुछ समय बाद क्रिसमस ट्री के टॉप पर सितारे को रखा जाने लगा जिसने ज्योति‍‍षियों को यीशु का पता बताया था। आज भी क्रिसमस ट्री के टॉप पर सि‍तारा रखा जाता है। क्रिसमस ट्री के साथ-साथ ही सारे मसीह परिवार और चर्च में इस तारे को विशेष तौर पर लगाया जाता है। क्रिसमस से इस पेड़ का जुड़ाव सदियों पुराना बताया जाता है। यूरोप में कहते हैं कि जिस रात जीसस का जन्म हुआ, जंगल के सारे पेड़ जगमगाने लगे थे और फलों से लद गए थे। यही वजह है कि क्रिसमस के दिन इस पेड़ को घर लाकर सजाते हैं।
इसके अलावा इससे जुड़ी एक और कहानी मशहूर है वह यह कि एक बार क्रिसमस पूर्व की संध्या में कड़ाके की ठंड में एक छोटा बालक घूमते हुए खो जाता है। ठंड से बचने के लिए वह आसरे की तलाश करता है तभी उसको एक झोपड़ी दिखाई देती है। उस झोपड़ी में एक लकड़हारा अपने परिवार के साथ आग ताप रहा होता है। लड़का इस उम्मीद के साथ दरवाज़ा खटखटाता है कि उसे यहां आसरा मिल जाएगा। लकड़हारा दरवाज़ा खोलता है और उस बालक को वहां खड़ा पाता है। उस बालक को ठंड में ठिठुरता देख लकड़हारा उसे अंदर बुला लेता है। उसकी बीवी उस बच्चे की सेवा करती है। उसे नहला कर, खाना खिलाकर अपने सबसे छोटे बेटे के साथ उसे सुला देती है। क्रिसमस की सुबह लकड़हारे और उसके परिवार की नींद स्वर्गदूतों की गायन मंडली के स्वर से खुलती है और वे देखते हैं कि वह छोटा बालक यीशु मसीह के रूप में बदल गया है। यीशु बाहर जाते हैं और फर वृक्ष की एक डाल तोड़कर उस परिवार को धन्यवाद कहते हुए देते हैं। तभी से इस रात की याद में प्रत्येक मसीह परिवार अपने घर में क्रिसमस ट्री सजाता है।
दुनिया भर के अधिकतर देशों में यह २५ दिसम्बर को मनाया जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसम्बर को ही जर्मनी तथा कुछ अन्य देशों में इससे जुड़े समारोह शुरु हो जाते हैं। ब्रिटेन और अन्य राष्ट्रमंडल देशों में क्रिसमस से अगला दिन यानि 26 दिसम्बर बॉक्सिंग डे के रूप मे मनाया जाता है। कुछ कैथोलिक देशों में इसे सेंट स्टीफेंस डे या फीस्ट ऑफ़ सेंट स्टीफेंस भी कहते हैं। आर्मीनियाई अपोस्टोलिक चर्च 6 जनवरी को क्रिसमस मनाता है पूर्वी परंपरागत गिरिजा जो जुलियन कैलेंडर को मानता है वो जुलियन वेर्सिओं के अनुसार २५ दिसम्बर को क्रिसमस मनाता है, जो ज्यादा काम में आने वाले ग्रेगोरियन कैलेंडर में 7 जनवरी का दिन होता है क्योंकि इन दोनों कैलेंडरों में 13 दिनों का अन्तर होता है।क्रिसमस आमतौर पर बहुत सी देशों के लिए सबसे बड़ा वार्षिक आर्थिक उत्तेजना लाता है। सभी खुदरा दूकानों में बिक्री अचानक से बढ़ जाती है। दूकानों में नए ये सामान मिलने लगते हैं क्यूंकि लोग सजावट. के सामान. उपहार और अन्य सामान की करिदारी शुरू कर देते हैं। अमेरिका में, "क्रिसमस की खरीदारी का मौसम" आम तौर पर काला शुक्रवार (Black Friday), को शुरू होता है ये दिन थान्क्स्गिविंग (Thanksgiving) दिन के बाद आता है हलाकि बहुत से दुनाकन में क्रिसमस के सामान अक्टूबर के शुरुआत से ही मिलने लगते हैं।
अधिकांश क्षेत्रों में, क्रिसमस दिवस व्यापार और वाणिज्य के लिए इस वर्ष के कम से कम सक्रिय दिन है, लगभग सभी, वाणिज्यिक खुदरा और संस्थागत व्यवसाय बंद हो जाती हैं लगभग सभी उद्योगों गतिविधि समाप्त (वर्ष के किसी भी दूसरे दिन की तुलना में) इंग्लैंड और वेल्स (England and Wales) में (व्यापार) अधिनियम, 2004 (Christmas Day (Trading) Act 2004) क्रिसमस दिवस पर व्यापार से सभी बड़े दुकानों से बचाता है। स्कॉटलैंड वर्तमान में इसी तरह के कानून की योजना बना रही है।फ़िल्म स्टूडियो (Film studio) इन छुट्टी के दिनों में बहुत से मेहेंगी फिल्में रेलेसे करती है जिनमें जाया कर के क्रिसमस फिल्में काल्पनिक (fantasy) या उच्चा कोटि का ड्रामा होता था और उनका उत्पादन (production) मूल्य काफी ज्यादा होता था
एक अर्थशास्त्री (economists) के विश्लेषण के अनुसार रूढ़िवादी microeconomic सिद्धांत (microeconomic theory), उपहार में वृद्धि-देने के कारण.क्रिसमस एक deadweight हानि (deadweight loss) इस नुकसान की गणना उपहार देने और उपहार लेने के बीच के खर्च को जोड़ कर होता है ऐसा लगता है कि 2001 में क्रिसमस अमेरिका में अकेले एक 4 अरब डॉलर डेडवेट की हानी की वजह था।[41][42] पेचीदा कारकों की वजह से, इस विश्लेषण का प्रयोग कभी कभी वर्तमान मिक्रोइकनॉमिक सिद्धांत में संभव दोषों की चर्चा करने के लिए किया जाता है। अन्य डेडवेट हानियों me शामिल हैं क्रिसमस के प्रभावों पर्यावरण और इस तथ्य पर कि उपहार अक्सर सफेद हाथी (white elephant) की रखरखाव और भंडारण और अव्यवस्था में योगदान करने के लिए अधिरोपित करने की लागत, माना जाता है।

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