क्रिसमस क्रिश्चियन समुदाय का सबसे बड़ा और खुशी का त्योहार है, इस कारण इसे बड़ा दिन भी कहा जाता है।क्रिश्चियन समुदाय के लोग हर साल 25 दिसंबर के दिन क्रिसमस का त्योहार मनाते हैं। क्रिसमस का त्योहार ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस एक अनोखा पर्व है जो ईश्वर के प्रेम, आनंद एवं उद्धार का संदेश देता है। क्रिसमस का त्योहार अब केवल ईसाई धर्म के लोगों तक ही सिमित नही रह गया है, बल्कि देश के सभी समुदाय के लोग इसे पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाते हैं। क्रिसमस मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के द्वारा की गई पहल को दर्शाने वाला त्योहार भी है।
अब आप सोच रहे होंगे कि आप अपनी भाग-दौड़ भरी जिंदगी से इतना समय कैसे निकालें कि कुछ दान करने के बारे में या किसी रोते को हंसाने के बारे में सोच सकें। तो इसकी शुरूआत आप अपने घर से ही कर सकते हैं, आप के घर में अगर कुछ पुराने कपड़े हैं जिन्हे आप इस्तेमाल नही कर रहे हैं, आप उसे किसी मंदिर या गुरूद्वारे में दे सकते हैं ताकि वो किसी गरीब के तन ढकने के काम आ सके और कम से कम इन सर्दियों को बिना किसी तकलीफ के गुजार पांए। अगर आप के घर में छोटे बच्चे हैं तो आप उन्हे भी सिखांए कि वो अपने पुराने खिलौनों को आपके घर में काम करने वाले गरीब जरूरतमंद को दे दें। अगर आप क्रिसमस देने के लिए उपहार खरीदने का सोच रहे हैं तो आप किसी अनाथ आश्रम या संस्था में बच्चों के हाथ से बने हुए उपहार खरीदें।
पर क्या आप जानते हैं कि आखिर सांता क्लॉज ढेर सारे उपहार लेकर एक ही रात में दुनिया भर के सभी घरों में कैसे पहुँच सकता है। इसका जवाब है, हम सब के बीच ही एक सांता छुपा होता है लेकिन हम उसे पहचान नही पाते हैं। सांता बिना किसा भी स्वार्थ के सब के जीवन में खुशियाँ ले कर आता है। हमे भी उस से एक सबक लेना चाहिए कि किस तरह हम किसी भी तरह अगर एक इंसान को खुशी दे सकें तो शायद हम भी इस क्रिसमस को सही मायने में मनाने में कामयाब हो सकेंगे।
क्या आपको पता है कि क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस ट्री, क्रिसमस कार्ड, क्रिसमस स्टार, क्रिसमस फादर की शुरुआत कैसे हुई। क्रिसमस में कैंडिल का भी काफी महत्व है। एक हजार वर्ष पहले ऑस्ट्रेलिया के एक गांव में छोटा परिवार रहता था। पति और पत्नी रात के अंधेरे में आने जाने वालों के लिए बाहर दरवाजे पर प्रतिदिन एक कैंडिल जलाकर रख देते थे। दूसरे देश से युद्ध छिड़ा और समाप्त होने के बाद किसी ने गांव में सूचना दी कि युद्ध समाप्त हो गया। पूरे गांव में लोगों ने अपने घरों के बाहर कैंडिल जलाया। उस दिन 24 दिसंबर की रात थी। इसको क्रिसमस से जोड़ दिया गया। क्रिसमस ट्री के विषय में, सदियों पहले एक प्रचारक दल अफ्रीका के घने जंगल में रहने वाले लोगों को प्रभु यीशु का शुभ संदेश सुनाने पहुंचा। 24 दिसंबर की रात में जंगल का नजारा ही दूसरा था। जंगलियों ने एक पेड़ में बच्चे बांध दिया था। जल्लाद उस बच्चे की बलि चढ़ाने जा रहा था। उस जाति के लोगों को विश्वास था कि बच्चे की बलि से बिजली देवता प्रसन्न होकर वर्षा करेंगे और हम सबको सूखे से निजात मिल जाएगी। प्रचारक दल के मुखिया ने जल्लाद को बलि करने से रोक दिया। कबीले के सरदार को क्रोध आ गया। उसने कहा कि आप लोगों की प्रार्थना से बिजली नहीं चमकी और वर्षा नहीं हुई तो सभी को तलवार से कत्ल कर दिया जाएगा। प्रचारक दल ने प्रार्थना किया, बिजली चमकी और वर्षा भी हुई। तभी से प्रभु यीशु के जन्मोत्सव पर क्रिसमस ट्री अनिवार्य रुप से दर्शाया जाता है।
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