Monday, 15 December 2014

स्थानीय ही समझते हैं बेहतर



दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारी में हर कोई व्यस्त हो चुका है। हर सीट पर बेहतर सोच के साथ रूपरेखा तैयार की जा रही है। मेरा तो स्पष्ट मानना है कि उस क्षेत्र का विकास बेहतर होता है, जहां के प्रतिनिधि उस क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। दिल्ली में लुटियन्स का इलाका सबसे महत्वपूर्ण है। बीते चुनाव में इसी लुटियन के लोगों ने नई दिल्ली विधाानसभा से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को अपना प्रतिनिधि चुना, लेकिन उन्होंने क्या किया ? कुछ भी तो नहीं। जनता ने उन पर भरोसा किया, लेकिन केजरीवाल ने अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ा लिया। जिम्मेदारी का पद मुख्यमंत्री का है, लेकिन उसकी महत्ता को भी नहीं समझा।
असल में, लगातार तीन चुनाव में कांगे्रस की शीला दीक्षित यहां से जीत का परचम लहराते हुए 15 वर्षों तक प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं, वहीं पिछले चुनाव में यहीं से ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री बने थे। नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र का दुर्भाग्य रहा है कि आमतौर पर यहां से कोई भी  दल स्थानीय नेता को टिकट नहीं देता है। पिछले चुनाव में कांग्रेस की शीला दीक्षित के मुकाबले ‘आप’ से अरविंद केजरीवाल एवं ऽााजपा से बिजेंद्र गुप्ता मैदान में थे। हालांकि, केजरीवाल चुनाव जीत गए, लेकिन न तो उनका, न ही बिजेंद्र गुप्ता का कोई ताल्लुक नई दिल्ली क्षेत्र से रहा है। चूंकि उस समय लोग कांग्रेस से नाराज थे, ऐसे में केजरीवाल की किस्मत चमक गई।’
इस बार शीला दीक्षित चुनाव से खुद को दूर रख रही हैं और भाजपा  प्रत्याशी चयन को लेकर उहापोह में है। ऐसी स्थिति में अगर कांग्रेस यहां से किसी स्थानीय नेता को चुनाव लड़ाती है, तो इसमें संदेह नहीं कि वह ‘आप’ और भाजपा के ‘बाहरी’ उम्मीदवारों को न केवल दमदार चुनौती पेश करेगा, बल्कि यह सीट कांग्रेस की झोली में भी जा सकती है। इस क्षेत्र में जितना विकास हुआ है अब तक वह कांग्रेस की ही देन है। यहां की विधायक रहीं श्रीमती शीला दीक्षित और सांसद अजय माकन ने नई दिल्ली के लोगों की हर सुविधाओं का ख्याल रखा।

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