चुनावी वादे केवल हवा हवाई होते हैं। यह एक बार फिर साबित हो गया है। अच्छे दिन अच्छे दिन की रट लगाने वाली भाजपा और उसके नेताओं की पोल अब खुलने लगी है। साल भर से अधिक का समय हो गया, लेकिन अच्छे दिन नहीं आए। भाजपा अध्यक्ष अमित षाह ने भोपाल में कहा कि अच्छे दिन आने में 25 साल लगेंगे। शाह ने यह भी कहा कि इंडिया को नंबर वन बनाने के लिए भाजपा को इन 25 साल में पंचायत से लेकर लोकसभा तक हर चुनाव जीतना होगा। देश को दुनिया के सर्वोच्च स्थान पर बैठाना है तो पांच साल की सरकार कुछ नहीं कर सकती। अच्छे दिनों का मतलब भारत को दुनिया में वैसा ही सम्मान दिलाना है जैसा कि अंग्रेजों के शासन से पहले था। पहले पांच साल के शासन में भाजपा सरकार महंगाई कम कर सकती है, सीमाओं को सुरक्षित कर सकती है, मजबूत विदेश नीति बना सकती है, देश की आर्थिक तरक्की सुनिश्चित कर सकती है, नौकरियां दिला सकती है और गरीबी हटा सकती है।
जाहिर सी बात है कि भाजपा यदि यह बात पहले कहती तो चुनावी में सफलता नहीं मिलती। एक के बाद एक कई मामले खुलते जा रहे हैं। पारदर्शी नीति अपनाने का दावा करने वाली नरेंद्र मोदी सरकार भी भ्रष्टाचार के घेरे में आ गई है। भ्रष्टाचार का यह आरोप किसी विपक्षी पार्टी ने नहीं बल्कि केंद्र और महाराष्ट्र की भाजपानीत सरकार में शामिल शिवसेना ने ही लगाया है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कार्यकारी संपादक संजय राउत ने ‘सच्चाई’ नामक शीर्षक के तहत एलईडी बल्ब में भारी घोटाले का पर्दाफाश किया है। राउत ने लिखा है कि केंद्र सरकार ने एलईडी बल्ब लगाने का ठेका एक मृत कंपनी को दिया है, जिसमें करीब 25 हजार करोड़ रुपये का गैर-व्यवहार हुआ है।
मोदी सरकार काला धन वापस लाने की बात की थी। सौ दिन में 80 लाख करोड़ लाने की बात थी। सरकार में आने के बाद मोदी सरकार कानून के ऽभगौड़े और काला धन पैदा करने वाले ललित मोदी की मदद कर रही है। अमित शाह अब कह रहे हैं कि काला धन लाने और हरेक के खाते में 15 लाख रुपये देने की बात तो चुनावी जुमला था। सच्चाई क्या है, आखिर कहां है काला धन ? किसके आए अच्छे दिन। 36 हजार करोड़ का पीडीएस घोटाला छत्तीसगढ़ में रमन सिंह करते हैं, जिसमें उनके पूरे परिवार की मिलीभगत है। डायरियों में यह बात उजागर हो चुकी है। मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले भाजपा की सरकार कर रही है। बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। अब तक 49 लोगों की मौत हो चुकी है। राजस्थान में वसुंधरा राजे और ललित मोदी की मिलीऽागत पूरी दुनिया देख रही है। महाराष्ट्र में बच्चों की खाने वाली गुड़ की चिक्की तक भाजपा के लोग खा गए। मंत्री पंकजा मुंडे की सच्चाई लोगों के सामने आ चुकी है। महाराष्ट्र के एक और मंत्री हैं तावड़े जी, वो भी दो-दो घोटाले में शामिल हैं। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी जी ने तीन-तीन शपथ पत्र दिए हैं, अपनी शिक्षा को लेकर। तीनों विरोधाऽाासी हैं। एक और हैं शिक्षा राज्य मंत्री रामशंकर कटारिया, जिन पर फर्जी डिग्री का मुकदमा चल रहा है। जी सिद्धेश्वर और नितिन गडकरी पर घपले का आरोप है। कैग ने ऽा्रश्टाचार में संलिप्तता की बात कही है। मोदी जी के एक और मंत्री हैं निहाल चंद, जिनको पुलिस बलात्कार के मामले में तलाश रही है।
इतना ही नहीं, लगता है मोदी सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जय जवान जय किसान का नारा याद नहीं तभी तो जमीन अधिग्रहण (लैंड बिल) मुद्दे पर किसान तो पहले से ही रुठे हुए है और अब श्वन रैंक वन पेंशनश् के मुद्दे पर जवान भी नाराज हो गए हैं। गुस्सा इस कदर है कि 1971 लड़ाई के हीरो विंग कमांडर सुरेश दामोदर कार्णिक ने 26 मई को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के हाथों सम्मान लेने से मना कर दिया। 80 साल के वीर चक्र से सम्मानित विंग कमांडर कहते हैं कि जब सरकार श्वन रैंक वन पेंशनश् का सम्मान नहीं कर पा रही है तो वो मेरा क्या करेगी। हर कोई केवल बात करता है, एक्शन कुछ नहीं करता। ये लड़ाई सिर्फ पैसों के लिए नहीं है बल्कि इज्जत के लिए है। मोदी सरकार बनने के बाद ये पहला मौका है जब जवानों ने खुलकर सरकार के खिलाफ नाराजगी दिखाई है। ध्यान रहे बीजेपी ने चुनावी घोषणा पत्र में देश के 25 लाख पूर्व सैनिकों से वादा किया था कि वो वन रैंक वन पेंशन लागू करेगी। इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर कहते है कि हमें जो करना था हमने कर दिया, थोड़ा इंतजार कीजिए और यही बात नौसेना प्रमुख एडमिरल रोबिन धवन भी कह रहे हैं कि पूर्व सैनिक थोड़ा धैर्य रखे। यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी मीडिया से बातचीत में इस बात को दोहराया है कि वे इस मुद्दे पर संजीदा हैं और जल्दी ही इसे अमल में ले आएंगे, लेकिन सवाल वही है कब तक?
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