Monday, 10 August 2015

कैसे मिटेगा यह अंधविष्वास


ऐसा लगता है कि झारखंड और देश के अन्य कई अंचल 21वीं सदी में नहीं अंधकार युग में रह रहे हैं। ज्ञान-शिक्षा, सुख सुविदाओं से युक्त स्मार्ट सिटी बनाने और बुलेट ट्रेन चलाने के इस दौर में यह घटना हमें यह सोचने को मजबूर करती है कि आखिर हमारा ग्रामीण समाज अब भी किस मानसिकता से जी रहा है। अब भी भारत में 70 प्रतिशत लोग गांवों में ही रहते हैं। गांवों के विकास से ही देश का विकास संभव है। किन्तु मांडर के इस गांव की घटना हमारी शिक्षा, ज्ञान और विकास के सपनों पर प्रश्न चिह्न खड़ा करती है। ऐसी कुरीतियों से उबरे बिना हम विकसित भारत की कल्पना नहीं कर सकते। ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटना इस क्षेत्र में पहली बार घटी है। ऐसा भी नहीं कि यह काम किसी वहशी ने यूं ही ताव में आकर कर दिया। बाकायदा पंचायत लगाकर सामूहिक फैसले के बाद घटना को अंजाम दिया गया। झारखंड में डायन प्रथा विरोधी कानून 2001 से लागू है। इतने साल गुजर जाने के बाद भी इसे न तो प्रभावी तौर पर लागू करने की कोशिश की गयी और न ही कानून के लागू होने के बाद समाज में कोई बदलाव आया है। वर्ष 2001 से अब तक झारखंड में डायन बताकर 1200 से ज्यादा महिलाओं की हत्या की जा चुकी है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड व्यूरो के अनुसार देशभर में वर्ष 2000 से 2012 के बीच ऐसी 2,097 हत्याएं होने का अनुमान है। डायन बिसाही जैसी कुप्रथा को समाप्त किये बिना एक सभ्य और विकसित समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। झारखंड सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करते हुए डायन प्रथा के विरोध में बने कानून को सख्ती से लागू करना चाहिये ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। लेकिन इसके साथ ही जनजागृति का मोर्चा भी खोलना होगा।
रांची के मांडर थाना क्षेत्र में डायन-बिसाही के आरोप में पांच महिलाओं की नृशंस हत्या के मामले में एक महीने के अंदर चार्जशीट दायर करने का निर्णय लिया गया है। इस मामले में अब तक 27 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पिछले तीन वर्षों से लंबित ऐसे सभी मामलों के जल्द निष्पादन के लिए उच्च न्यायालय से फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के लिए अनुरोध किया जायेगा। साथ ही लंबित मामलों के तीव्र निष्पादन के लिए स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर नामित किया जायेगा। समीक्षा के दौरान मुख्य सचिव ने डायन व अंधविश्वास से जुडे पूर्व में लंबित मामले, जो अनुसंधान के क्रम में हैं, की एक महीने के अन्दर समीक्षा कर निष्पादन करने का निर्देश दिया। साथ ही आदिवासी बहुल ग्रामीण इलाकों में मुख्यमंत्री द्वारा घोषित आदिवासी ग्राम विकास योजना को मिशन मोड में क्रियान्वयन करने की बात कही।

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